-पटनायक समिति ने किया प्रदेश की वित्तीय स्थिति का आंकलन
-इस साल बढ़ा वेतन, अगले साल एरियर देने का हुआ प्रस्ताव
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने की स्थिति में प्रदेश सरकार का तीस हजार करोड़ रुपये वार्षिक के आसपास खर्च बढऩे की उम्मीद है। इसके लिए गठित पटनायक समिति ने बुधवार को प्रदेश की वित्तीय स्थिति का आंकलन किया तो इस साल कर्मचारियों को बढ़ा वेतन और अगले साल एरियर देने का प्रस्ताव किया गया।
प्रदेश सरकार द्वारा सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें स्वीकार किये जाने के बाद सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी गोपबंधु पटनायक की अध्यक्षता में गठित समीक्षा समिति ने बुधवार को वित्त विभाग के अधिकारियों के साथ प्रदेश की आर्थिक स्थितियों का विशद आंकलन किया। इस दौरान वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कर्मचारियों के वेतन व पेंशन आदि मदों में लगातार खर्च बढ़ रहा है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने की स्थिति के मद्देनजर जो औसत आंकलन किया गया था, उसके अनुसार पहले साल 26,573 करोड़ और फिर हर साल 22,778 करोड़ रुपये वार्षिक खर्च का आंकलन किया गया था। इस बीच केंद्र सरकार द्वारा स्वीकार की गयी सिफारिशों का दोबारा अध्ययन करने पर यह खर्च बढऩे की उम्मीद जताई गयी है। कहा गया कि सिफारिशों को अमल में लाने पर औसतन तीस हजार करोड़ रुपये वार्षिक खर्च बढ़ेगा।
वेतन समिति ने सभी कर्मचारियों की श्रेणीवार व वेतनमान के आधार पर अलग-अलग संख्या और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें स्वीकार करने की स्थिति में पडऩे वाले असर के साथ विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। कहा गया है कि हर स्तर पर औसत वेतन वृद्धि का आंकलन किया जाए। बैठक में प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप तीन माह के भीतर अंतरिम रिपोर्ट देने की चर्चा हुई तो कहा गया कि यदि दीवाली या उसके आसपास अंतरिम सिफारिशें स्वीकार की जाती हैं तो मौजूदा वित्तीय वर्ष में अधिकतम चार माह का वेतन देना पड़ेगा। इस परिप्रेक्ष्य में प्रस्ताव किया गया कि इस साल बढ़ा हुआ वेतन दे दिया जाए और अगले वित्तीय वर्ष में एरियर देने का प्रावधान किया जाए।
आ सकता एक और अनुपूरक बजट
बैठक में शामिल अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश सरकार ने मूल बजट में सातवें वेतन आयोग के लिए धन आवंटित कर दिया था। इसके बावजूद यदि समीक्षा समिति की सिफारिशों के मद्देनजर अधिक धन के आवंटन की जरूरत पड़ती है तो एक और अनुपूरक बजट लाया जा सकता है। चुनावी साल होने के कारण अन्य खर्चों के लिए भी सरकार एक और अनुपूरक बजट ला सकती है और उसमें सातवें वेतन आयोग के लिए जरूरी धन का इंतजाम भी जोड़ा जा सकता है।
-इस साल बढ़ा वेतन, अगले साल एरियर देने का हुआ प्रस्ताव
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने की स्थिति में प्रदेश सरकार का तीस हजार करोड़ रुपये वार्षिक के आसपास खर्च बढऩे की उम्मीद है। इसके लिए गठित पटनायक समिति ने बुधवार को प्रदेश की वित्तीय स्थिति का आंकलन किया तो इस साल कर्मचारियों को बढ़ा वेतन और अगले साल एरियर देने का प्रस्ताव किया गया।
प्रदेश सरकार द्वारा सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें स्वीकार किये जाने के बाद सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी गोपबंधु पटनायक की अध्यक्षता में गठित समीक्षा समिति ने बुधवार को वित्त विभाग के अधिकारियों के साथ प्रदेश की आर्थिक स्थितियों का विशद आंकलन किया। इस दौरान वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कर्मचारियों के वेतन व पेंशन आदि मदों में लगातार खर्च बढ़ रहा है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने की स्थिति के मद्देनजर जो औसत आंकलन किया गया था, उसके अनुसार पहले साल 26,573 करोड़ और फिर हर साल 22,778 करोड़ रुपये वार्षिक खर्च का आंकलन किया गया था। इस बीच केंद्र सरकार द्वारा स्वीकार की गयी सिफारिशों का दोबारा अध्ययन करने पर यह खर्च बढऩे की उम्मीद जताई गयी है। कहा गया कि सिफारिशों को अमल में लाने पर औसतन तीस हजार करोड़ रुपये वार्षिक खर्च बढ़ेगा।
वेतन समिति ने सभी कर्मचारियों की श्रेणीवार व वेतनमान के आधार पर अलग-अलग संख्या और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें स्वीकार करने की स्थिति में पडऩे वाले असर के साथ विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। कहा गया है कि हर स्तर पर औसत वेतन वृद्धि का आंकलन किया जाए। बैठक में प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप तीन माह के भीतर अंतरिम रिपोर्ट देने की चर्चा हुई तो कहा गया कि यदि दीवाली या उसके आसपास अंतरिम सिफारिशें स्वीकार की जाती हैं तो मौजूदा वित्तीय वर्ष में अधिकतम चार माह का वेतन देना पड़ेगा। इस परिप्रेक्ष्य में प्रस्ताव किया गया कि इस साल बढ़ा हुआ वेतन दे दिया जाए और अगले वित्तीय वर्ष में एरियर देने का प्रावधान किया जाए।
आ सकता एक और अनुपूरक बजट
बैठक में शामिल अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश सरकार ने मूल बजट में सातवें वेतन आयोग के लिए धन आवंटित कर दिया था। इसके बावजूद यदि समीक्षा समिति की सिफारिशों के मद्देनजर अधिक धन के आवंटन की जरूरत पड़ती है तो एक और अनुपूरक बजट लाया जा सकता है। चुनावी साल होने के कारण अन्य खर्चों के लिए भी सरकार एक और अनुपूरक बजट ला सकती है और उसमें सातवें वेतन आयोग के लिए जरूरी धन का इंतजाम भी जोड़ा जा सकता है।
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