Saturday 3 September 2016

पीजीआइ की रिपोर्ट झूठी, सीएमओ सच्चे!

-डेंगू व बुखार को लेकर मनमानी पर उतारू स्वास्थ्य विभाग
-प्रदेश में अब तक सिर्फ 61 मरीजों व दो मौतें ही स्वीकारी
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: डेंगू व बुखार को लेकर स्वास्थ्य विभाग मनमानी पर उतारू है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को सच्चा मानकर संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआइ) की रिपोर्ट तक को झुठलाया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग प्रदेश में डेंगू व बुखार के सिर्फ 61 मरीज और दो मौतें ही स्वीकार कर रहा है।
सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को संक्रामक रोगों के मरीजों की तुरंत जानकारी देने के निर्देश दिये थे। सीएमओ ने इनकी जानकारी छिपाने को ही मूल मंत्र बना लिया है। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) अरुण सिन्हा द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक डेंगू से प्रदेश में अब तक सिर्फ दो लोगों की मौत हुई है। प्रदेश में जहां अस्पताल बुखार के मरीजों से भरे हैं, यह रिपोर्ट सिर्फ 61 मरीज होने की बात स्वीकार करती है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक सीतापुर की लहरपुर निवासी नसरा प्रवीन व दिबियापुर बिसवां निवासी विनीता की ही मौत डेंगू से हुई है।
यह आंकड़े छिपाने की जद्दोजहद ही है कि स्वास्थ्य विभाग पीजीआइ की रिपोर्ट को भी झुठला रहा है। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष रहे मुन्ना सिंह और लखनऊ में तैनात दरोगा केजी शुक्ला की मौत डेंगू से पीजीआइ में हुई थी। इनके मृत्यु प्रमाण पत्र में पीजीआइ ने स्पष्ट रूप से 'डेंगू शॉक सिंड्रोमÓ से मौत की बात लिखी है किन्तु स्वास्थ्य विभाग उसे नहीं मान रहा है। मुन्ना सिंह के मामले में बाराबंकी और केजी शुक्ला के मामले में लखनऊ के सीएमओ की रिपोर्ट पर भरोसा किया जा रहा है, जिसमें डेंगू से मौत की पुष्टि नहीं की गयी है। यही स्थिति अन्य मौतों के मामले में भी है। लोग डेंगू व बुखार से मर रहे हैं, सीएमओ रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं। प्रमुख सचिव ने भी इस स्थिति को गंभीर माना और कहा कि पूरे मामले की जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई होगी।
अधूरी जांच से संकट
यह संकट दरअसल अधूरी जांच के कारण हो रहा है। डेंगू का मरीज अस्पताल में पहुंचने पर रैपिड जांच कराई जाती है। उसमें डेंगू आने पर इलाज शुरू होता है। इस बीच मरीज की मौत हो जाने पर दूसरी जांच हो नहीं पाती और सीएमओ उस मौत को डेंगू मानते ही नहीं हैं। संक्रामक रोग विभाग की प्रभारी अपर निदेशक डॉ.गीता यादव ने कहा कि रैपिड टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाने पर दोबारा परीक्षण कराना पड़ता है। उसके बिना डेंगू की पुष्टि स्वीकार नहीं की जाती है। वे इस सवाल का जवाब नहीं दे सकीं कि शुरुआती जांच में डेंगू की पुष्टि के बाद मरीज की मौत होने की स्थिति में दूसरी जांच न हो पाने पर उसे क्या माना जाए?
इंसेफेलाइटस भी बढ़ा, अब तक 201 मौतें
पूरे प्रदेश में बुखार व संक्रमण की दस्तक थमने का नाम नहीं ले रही है। इंसेफेलाइटिस भी तेजी से बढ़ रहा है। अब तक कुल 1296 मरीज सरकारी अस्पतालों में पहुंच चुके हैं और 201 मौतें भी हो चुकी हैं। पिछले वर्ष की तुलना में यह संख्या बहुत अधिक है। पिछले वर्ष अब तक इंसेफेलाइटिस के कुल 941 मरीज ही सामने आए थे और 119 मौतें हुई थीं। इसके अलावा प्रदेश में डायरिया के 1018 मामले सामने आए, जिनमें से 21 की जान चली गयी। खसरा के 1106 मरीज अस्पताल पहुंचे, जिनमें 10 को बचाया नहीं जा सका। चिकनपॉक्स भी तेजी से फैल रहा है। अब तक 2146 मरीज भर्ती हुए, जिनमें से चार की मौत हो गयी। एच1एन1 इन्फ्लुएंजा भी तेजी से फैल रहा है। इसके 122 मरीजों में 16 की मौत हो चुकी है।

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