Wednesday 24 August 2016

अफसर चलवाते अवैध अल्ट्रासाउंड, घट रहीं बेटियां


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-14 साल में 1000 बेटों की तुलना में बेटियां 916 से घटकर 883 हुईं
-निरीक्षण, छापे व कानून के पालन में स्वास्थ्य विभाग फिसड्डी साबित
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : एक ओर ओलंपिक में बेटियां देश का नाम रोशन कर रही हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में उन्हें अजन्मी ही मार डाला जा रहा है। मंगलवार को विधान मंडल में पेश भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में इसके लिए अफसरों की ढिलाई से अवैध अल्ट्रासाउंड संचालन को जिम्मेदार करार दिया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक 2001 में उत्तर प्रदेश में 1000 बेटों के मुकाबले 916 बेटियां थीं। 2011 में यह संख्या घटकर 902 हुई किंतु महज चार साल बाद 2014-15 में इनकी संख्या तेजी से गिरकर 883 हो गयी। रिपोर्ट इन स्थितियों के पीछे स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की लापरवाही को जिम्मेदार बता रही है। इसके मुताबिक विभाग द्वारा अल्ट्रासोनोग्र्राफी केंद्रों के पंजीकरण के नवीनीकरण के आवेदन को समय से प्रस्तुत करना सुनिश्चित नहीं किया गया। तमाम केंद्र बिना पंजीकरण के काम करते रहे। प्रभावी अनुश्रवण व निरीक्षण न होने से अवैध ढंग से अल्ट्रासाउंड किये जाते रहे। 68 फीसद अल्ट्रासाउंड तो बिना किसी डॉक्टर की सलाह के ही कर दिये गए। विभाग ने अल्ट्रासोनोग्र्राफी उपकरणों की बिक्री का पता लगाने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की। अधिकारियों को प्रदेश में लगी अल्ट्रासाउंड मशीनों की स्थापना व संख्या के बारे में जानकारी नहीं थी। अल्ट्रासाउंड केंद्रों से मासिक रिपोर्ट भी नहीं प्राप्त हो रही थी।
बेच दी सील मशीन 
राज्य में वर्ष 2014-15 में 18,488 निरीक्षणों के लक्ष्य के सापेक्ष मात्र 4,681 (25 फीसद) निरीक्षण ही किये गए। जो अल्ट्रासाउंड मशीनें सील की गयी थीं, उनके बारे में भी जानकारी नहीं थी। एक मशीन तो सील बंद होते हुए बेच दी गयी और दो अन्य मशीनें दूसरी जगह भेज दी गयीं। 58 फीसद अल्ट्रासाउंड केंद्र गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम 1994 का उल्लंघन कर रहे थे, इसके बावजूद इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। राज्य पर्यवेक्षक बोर्ड और राज्य व जिला सलाहकार समितियों की बैठकें ही नियमित रूप से नहीं हुईं।
अवैध गर्भपात को बढ़ावा
773 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में से मात्र छह फीसद में ही चिकित्सकीय गर्भपात की सुविधा उपलब्ध है। इन 46 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के अलावा प्रदेश के ग्र्रामीण क्षेत्रों व आसपास के कस्बों में अवैध गर्भपात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सका। यही नहीं 2083 नर्सिंग होम्स में से मात्र 548 (26.3 प्रतिशत) गर्भपात के लिए पंजीकृत थे, शेष नर्सिंग होम्स में अवैध ढंग से यह गतिविधि हो रही है। हरदोई के एक अस्पताल में डॉक्टर ने तीन से छह तक की गर्भावस्था में गर्भपात कर दिया। सूचना देने पर भी विभाग ने जांच नहीं की। ऐसी घटनाएं अवैध गर्भपात को बढ़ावा देने वाली हैं।

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