Monday 22 August 2016

सीएमओ की ढिलाई से टूट रहा साझेदारी का हौसला

-परिवार नियोजन में निजी क्षेत्र की सहभागिता में आ रही बाधाएं
-दो सप्ताह में दस फीसद लाभार्थियों का सत्यापन कराने के निर्देश
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : परिवार नियोजन में निजी क्षेत्र को जोड़कर परिवार कल्याण कार्यक्रम को दिशा देने की स्वास्थ्य विभाग की हौसला साझेदारी योजना प्रभावी साबित नहीं हो रही है। अधिकांश जिलों में सीएमओ की ढिलाई से साझेदारी का हौसला टूट रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की हौसला साझेदारी योजना में निजी क्षेत्र के चिकित्सकों व अस्पतालों को जोड़ा जाता है। इसमें प्रसव कराने वाले चिकित्सकों व अस्पतालों को मानदेय का भुगतान किया जाता है। तमाम कोशिशों के बावजूद यह योजना प्रभावी नहीं साबित हो पा रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक आलोक कुमार व स्वास्थ्य विभाग की तकनीकी सहयोग इकाई के अधिशासी निदेशक विकास गोथलवाल ने निजी क्षेत्र के साथ योजना की समीक्षा की तो पता चला कि सीएमओ के स्तर पर बेहद लापरवाही हो रही है। सीएमओ की ढिलाई के कारण समय पर भुगतान नहीं हो पाते हैं और परिणामस्वरूप निजी क्षेत्र इस अभियान में अधिक रुचि नहीं ले रहा है। महिलाओं के गंभीर हो जाने की स्थिति में अधिक खर्च के भुगतान की बाधाओं का मसला भी उठा। तय हुआ कि शासन स्तर पर दिशा-निर्देश जारी किये जाएंगे। जिला अस्पतालों के मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों को इसके लिए जिम्मेदार बनाने का फैसला हुआ।  मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिये दिये गए कि वे परिवार नियोजन के लिए नियत सेवा दिवसों पर निजी चिकित्सालयों का भ्रमण कर सेवा की गुणवत्ता का आकलन करें। दो सप्ताह के भीतर दस फीसद लाभार्थियों का सत्यापन करना भी सुनिश्चित करें। निजी चिकित्सकों की समस्याओं का समाधान राज्य स्तरीय टास्क फोर्स की मदद से कराने का आश्वासन दिया गया।

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