Monday 22 August 2016

लोग डेंगू से मर रहे, सीएमओ आकड़े छिपा रहे

-स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्रदेश में सिर्फ बीस को डेंगू, मरे केवल दो
-सरकारी दावे धड़ाम, डेंगू वार्ड बनाने की औपचारिकता तक सिमटी रोकथाम
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : डेंगू को लेकर प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग गंभीर नहीं है। लोग डेंगू से मर रहे हैं किंतु मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) आकड़े छिपाने में जुटे हैं। हालात ये हैं कि स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्रदेश में सिर्फ बीस लोगों को डेंगू हुआ है और जानें तो केवल दो गयी हैं।
लगभग हर जिले से डेंगू के मरीज सामने आ रहे हैं। इसके विपरीत स्वास्थ्य विभाग हर जिला अस्पताल व मेडिकल कालेजों से संबंद्ध अस्पतालों में अलग डेंगू वार्ड बनाने की औपचारिकता कर शांत हो गया है। सर्वाधिक लापरवाही मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के स्तर पर हो रही है। डेंगू की सही जानकारी ही नहीं भेजी जा रही है। शुक्रवार तक महज बीस डेंगू के मरीज सामने आने की बात कही जा रही है। इनमें भी सिर्फ दो लोगों की मौत आकड़ों में दर्ज है। ये दो भी वे लोग हैं, जिनकी मृत्यु चर्चा में आ गयी थी। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष रहे मुन्ना सिंह की डेंगू के कारण संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में मृत्यु हुई थी। इससे पहले सिविल अस्पताल में उनके इलाज में लापरवाही का आरोप लगने पर सरकार ने जांच के आदेश दिये थे। दारोगा केजी शुक्ला की डेंगू से मौत पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने परिवारीजन को बीस लाख रुपये सहायता देने का ऐलान किया था। अधिकारी हर जिला अस्पताल में दस बेड का डेंगू वार्ड बनाने का दावा कर रहे हैं किंतु वहां डॉक्टरों की उपलब्धता ही नहीं है। अस्पतालों में दवाएं न मिलने की शिकायतें भी आ रही हैं।
खोखला एलर्ट मोड
गंभीर परिस्थितियों में मरीज मेडिकल कालेज जाते हैं किंतु वहां क्लीनिशियन मरीजों को देखते तक नहीं हैं और वे जूनियर डॉक्टरों की दया के मोहताज रहते हैं। यह स्थिति तब है, जबकि चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.वीएन त्रिपाठी का दावा है कि मेडिकल कालेजों को डेंगू के लिए 'एलर्ट मोडÓ में रखा गया है। ब्लड बैंकों में प्लेटलेट संरक्षित करने के निर्देश दिये गए हैं और किसी भी मरीज को बिना इलाज न लौटने देने को कहा गया है।
विधानसभा में उठेगा मुद्दा
भारतीय जनता पार्टी डेंगू की रोकथाम व इलाज में विफलता का मुद्दा विधानसभा में उठाएगी। पार्टी के मुख्य सचेतक डॉ.राधा मोहन दास अग्र्रवाल ने कहा कि बीमारी की अनदेखी किये जाने के कारण सबसे अधिक समस्या हो रही है। अधिकारियों के स्तर पर सही जानकारी न देकर 'अंडर रिपोर्टिंगÓ की जा रही है। विधानसभा की आश्वासन समिति के अध्यक्ष सतीश महाना का कहना है कि हर साल हर साल डेंगू फैलता है किंतु सरकार चिंता ही नहीं करती। सही रणनीति बने और उस पर प्रभावी अमल हो तो डेंगू के कारण होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। भाजपा इस मुद्दे को जोर-शोर से अगले सप्ताह शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में उठाएगी।
दिन में पहनें पूरे कपड़े
डेंगू की रोकथाम के प्रभारी संयुक्त निदेशक (मलेरिया) डॉ.एके शर्मा का दावा है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के स्तर तक बुखार के हर मरीज की स्लाइड बनाकर डेंगू की जांच कराने के निर्देश दिये गए हैं। 37 जगहों पर डेंगू की मुफ्त जांच की सुविधा है। उन्होंने कहा कि डेंगू का मच्छर साफ पानी में पनपता है और दिन के समय काटता है। इसलिए दिन में पूरी बांह के कपड़े पहनें और घर के भीतर या बाहर कहीं पानी इकट्ठा न होने दें। यदि रक्तस्राव नहीं हो रहा है और प्लेटलेट काउंट दस हजार से कम नहीं है तो निश्चिंत रहें और अनावश्यक प्लेटलेट न चढ़वाएं। 

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