Monday 22 August 2016

अल्पसंख्यक संस्थानों को आयुष प्रवेश परीक्षा से मुक्ति

-महात्मा गांधी काशी विद्या पीठ 25 सितंबर को कराएगा परीक्षा
-भरी जाएंगी बीएएमएस, बीयूएमएस व बीएचएमएस की 2800 सीटें
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: प्रदेश के अल्पसंख्यक आयुष संस्थानों को इस बार सरकारी प्रवेश परीक्षा से मुक्ति मिल गयी है। महात्मा गांधी काशी विद्या पीठ 25 सितंबर को बीएएमएस, बीयूएमएस व बीएचएमएस की 2800 सीटें भरने के लिए प्रवेश परीक्षा कराएगा।
प्रदेश के मेडिकल व डेंटल कालेजों में एमबीबीएस व बीडीएस में प्रवेश नीट के माध्यम से होने के बाद सीपीएमटी न कराने का फैसला हुआ था। इसके बाद आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक व यूनानी मेडिकल कालेजों में प्रवेश के लिए अलग से आयुष प्रवेश परीक्षा कराने का निर्णय लिया गया था। इस बीच सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन ने निजी आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक व यूनानी मेडिकल कालेजों में भी प्रवेश सरकारी कालेजों में प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षा से कराने के आदेश दिये थे। इसके बाद सरकारी कालेजों की बीएएमएस, बीएचएमएस व बीयूएमएस की आठ सौ सीटों के साथ निजी कालेजों की दो हजार सीटों के लिए चार सितंबर को आयुष प्रवेश परीक्षा कराने का फैसला हुआ था। परीक्षा का जिम्मा वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्या पीठ को सौंपा गया था।
इस फैसले के बाद प्रदेश के अल्पसंख्यक संस्थानों ने शासन के समक्ष प्रतिवेदन दाखिल कर उन्हें अपनी परीक्षा कराने व सीधे प्रवेश देने की मांग की थी। इस पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने केंद्रीय आयुष मंत्रालय से इस मामले में सलाह मांगी तो वहां से अल्पसंख्यक संस्थानों को अपनी परीक्षा कराकर प्रवेश लेने की छूट देने की बात कही गयी। प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) डॉ.अनूप चंद्र पाण्डेय के मुताबिक अब अल्पसंख्यक आयुष संस्थानों को प्रवेश परीक्षा से मुक्ति दे दी गयी है। शेष सरकारी व निजी आयुष चिकित्सा शिक्षा संस्थानों के लिए प्रवेश परीक्षा अब चार सितंबर के स्थान पर 25 सितंबर को होगी। परीक्षा परिणाम चार अक्टूबर को घोषित किया जाएगा, ताकि अक्टूबर के अंत तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी की जा सके।
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अगले साल से नीट
सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआइएम) ने स्पष्ट किया है कि राज्य स्तर पर संयुक्त प्रवेश परीक्षा की व्यवस्था सिर्फ शैक्षिक सत्र 2016-17 के लिए ही है। अगले साल से आयुष विधा के कालेजों में भी प्रवेश नेशनल एलिजिबिलिटी कम इंटरेंस टेस्ट (नीट) के माध्यम से होंगे। कहा गया है कि भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में अध्ययन के लिए पूरे देश से मेधावी छात्र-छात्राओं को आकर्षित करने के लिए नीट प्लेटफार्म का प्रयोग जरूरी हैं। अगले साल से नीट की रैंकिंग के आधार पर ही इन कालेजों में प्रवेश हुआ करेंगे।

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