Wednesday 11 May 2016

पैसा बचा तो निजी संस्थानों तक पहुंचेगी छात्रवृत्ति

-पिछड़ा वर्ग विभाग नए सिरे से बना रहा दशमोत्तर नियमावली
-निजी संस्थानों को भी वरीयता के लिए तीन हिस्सों में बांटा
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : पिछड़ा वर्ग विभाग दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए नए सिरे से नियमावली बना रहा है। अब पहले सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति मिलेगी। इसके बाद पैसा बचा तो निजी संस्थानों के विद्यार्थी लाभान्वित होंगे।
पिछले वित्तीय वर्ष में कई कोशिशों के बावजूद भारी संख्या में छात्र-छात्राएं दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति पाने से वंचित रह गए थे। पिछड़ा वर्ग विभाग ने इस बार अभी से नियमावली में संशोधन प्रस्तावित किया है, ताकि शुरू से ही स्थिति स्पष्ट रहे। अभी तक संस्थान महज तीन हिस्सों में विभाजित थे, सरकारी, सहायता प्राप्त व निजी और इसी क्रम में उन्हें छात्रवृत्ति का वितरण होता था। अब इन्हें पांच हिस्सों में विभाजित किया गया है। पहली श्रेणी पूर्ण रूप से सरकारी संस्थानों की है, तो दूसरी श्रेणी सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों की है। सबसे पहले इन दोनों श्रेणियों के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान होगा। इनसे बचने पर निजी संस्थानों के विद्यार्थी लाभान्वित होंगे, किंतु उनमें भी वरीयता सूची बनाते समय तीन श्रेणियां होंगी। सबसे पहले ऐसे संस्थानों के विद्यार्थियों को भुगतान होगा, जिन्हें सरकारी मान्यता प्राप्त है और जिनका शुल्क भी सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है। इसके बाद उन संस्थानों की बारी आएगी, जिन्हें सरकारी मान्यता तो मिली हुई है किन्तु शुल्क शासन द्वारा निर्धारित नहीं है। सबसे अंत में निजी क्षेत्र के उन संस्थानों पर विचार होगा, जो अपना शुल्क स्वयं निर्धारित करते हैं।
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आय नहीं अंक बनेंगे आधार
वरीयता सूची बनाने में आय की जगह अंकों को आधार बनाने का प्रस्ताव भी नियमावली में किया गया है। अभी तक वार्षिक आय के आधार पर स्लैब बनाकर उसका 'वेटेज' निर्धारित किया जाता था। सिके साथ ही पिछली कक्षाओं के प्राप्तांक प्रतिशत के पांच स्लैब बनाकर उनके 'वेटेज' अंक निर्धारित किये गए थे। अब इसे भी बदलने का फैसला हुआ है। अब आय के आधार को समाप्त करते हुए प्राप्तांक प्रतिशत के स्लैब के आधार पर 'वेटेज' की व्यवस्था भी खत्म कर दी गयी है। अब प्राप्तांक प्रतिशत को ही आधार बनाकर वरीयता सूची बनाई जाएगी। अभी तक 33 फीसद तक दो, 33 से 45 तक चार, 45 से 60 तक छह 60 से 75 तक आठ व 75 फीसद से अधिक अंकों पर दस 'वेटेज' अंक मानकर वरीयता सूची बनती थी। अब जितने अंक होंगे, उतने ही 'वेटेज' अंक मानकर वरीयता का निर्धारण किया जाएगा। भुगतान करते समय पहले 11वीं व 12वीं के विद्यार्थियों की चिंता की जाएगी, उसके बाद अन्य छात्र-छात्राओं का भुगतान होगा।

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