Tuesday 3 May 2016

अब कसेगा निजी मेडिकल कालेजों पर शिकंजा

-शासन ने शुरू की फीस निर्धारण की प्रक्रिया
-ज्यादा फीस निर्धारण की कोशिश कर रहे कालेज
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : मेडिकल व डेंटल कॉलेजों में प्रवेश के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी कम इंटरेंस टेस्ट (नीट) की अनिवार्यता के बाद निजी मेडिकल कॉलेजों पर शिकंजा कसेगा। शासन ने जहां उनके फीस निर्धारण की प्रक्रिया शुरू कर दी है, वहीं कॉलेज भी अब अपने सभी संपर्कों का प्रयोग अधिकाधिक फीस निर्धारण में करेंगे।
उत्तर प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में कुल 61 निजी कॉलेज हैं। इनमें सर्वाधिक 23 डेंटल कॉलेज हैं। इनके अलावा 17 मेडिकल, 11 यूनानी, आठ आयुर्वेदिक व दो होम्योपैथी कॉलेज भी निजी क्षेत्र द्वारा संचालित हैं। अभी तक इन सभी विधाओं के निजी कॉलेज अपनी-अपनी एसोसिएशन के माध्यम से अलग प्रवेश परीक्षा कराकर भर्ती कर लेते थे। इस कारण इनकी मनमानी भी चलती थी और फीस वसूली में तो कोई अंकुश ही नहीं था। नीट लागू होने के बाद इन कॉलेजों को अपनी प्रवेश परीक्षा के माध्यम से प्रवेश लेने का मौका नहीं मिलेगा, ऐसे में ये छात्र-छात्राओं के अभिभावकों से डीलिंग कर मनमानी फीस भी नहीं ले सकेंगे। सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आते ही चिकित्सा शिक्षा विभाग ने निजी कॉलेजों की फीस तय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
विभाग के प्रमुख सचिव डॉ.अनूप चंद्र पाण्डेय ने अधिकारियों के साथ बैठक कर फीस निर्धारण के लिए कमेटी बनाई है। इसके लिए निजी कॉलेजों का आर्थिक लेखा-जोखा मांगा गया है। अगले सप्ताह से दो बार में सभी मेडिकल कॉलेजों, तीन बार में सभी डेंटल कॉलेजों व फिर आयुर्वेदिक, होम्योपैथी व यूनानी कालेजों को अपने तीन साल के खर्च के ब्योरा के साथ तलब किये जाने की प्रक्रिया शुरू होगी। ऐसे में निजी कॉलेज संचालक भी अब अधिक से अधिक शुल्क निर्धारण की कोशिशों में लग गए हैं। इसके लिए राजनीतिक दबाव बनाने से लेकर अपने खर्च का ब्योरा पेशकर शुल्क निर्धारण तक की तैयारी हो रही है।
होती है चार गुना तक वसूली
वर्ष 2005 में निजी मेडिकल कालेजों कालेजों के एमबीबीएस पाठयक्रम में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं के लिए 4.10 लाख रुपये प्रति वर्ष शुल्क निर्धारित किया गया था। प्रदेश का कोई भी निजी मेडिकल कॉलेज यह शुल्क नहीं लेता है। इसके विपरीत 12 से 16 लाख रुपये तक वार्षिक शुल्क लिया जाता है। बीडीएस पाठ्यक्रमों में पांच से छह लाख रुपये प्रति वर्ष तक शुल्क है। इसी तरह बीएचएमएस, बीएएमएस व बीयूएमएस पाठ्यक्रमों में मनमाने ढंग से दो से पांच लाख रुपये प्रति वर्ष तक शुल्क लिया जाता है।

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