Wednesday 11 May 2016

...तो दान पाकर मजबूत होंगे मेडिकल कालेज

-चिकित्सा शिक्षा विभाग दान के लिए बना रहा नियमावली
-आइआइटी की तर्ज पर पूर्व छात्रों को भी जोडऩे की पहल
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : उत्तर प्रदेश में एक आइआइटी है और 14 मेडिकल कालेज। एसजीपीजीआइ और लोहिया संस्थान जैसे उच्च स्तरीय केंद्र अलग। इसके बावजूद आइआइटी को पूर्व छात्रों से मिलने वाली मदद करोड़ों रुपये में है और मेडिकल कालेजों को नगण्य। अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पहल के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग दान पाकर मेडिकल कालेजों को मजबूत करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए नियमावली बनाने की शुरुआत की गयी है।
आइआइटी कानपुर में हर साल होने वाले पूर्व छात्र सम्मेलन कई गतिविधियों के साथ पूर्व छात्र-छात्राओं द्वारा अपने संस्थान को करोड़ों रुपये की मदद देने का माध्यम भी बनते हैं। वहां परिसर की कई नई इमारतें व गेस्ट हाउस आदि भी पूर्व छात्र-छात्राओं ने धन एकत्र कर बनवाई हैं। इसके विपरीत लगभग सभी मेडिकल कालेजों में हर साल पूर्व छात्र सम्मेलन होते हैं। इस दौरान मस्ती भी होती है और उल्लास भी किंतु ये सम्मेलन अपने संस्थान को कुछ 'वापस' करने का माध्यम नहीं बन पाते। इसके लिए कुछ वर्ष पूर्व नियोजित पहल भी हुई। तब शासनादेश भी जारी हुआ था ताकि दानदाताओं को परेशानी न हो। इसके बावजूद स्थितियां जस की तस रहीं।
अब रविवार को केजीएमयू में मुख्यमंत्री द्वारा मेडिकल कालेजों में दान स्वीकार किये जाने की घोषणा के बाद स्थितियां बदलने की उम्मीद जगी है। प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) डॉ.अनूप चंद्र पाण्डेय के मुताबिक मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप मेडिकल कालेजों को दान के प्रति जागरूकता व इसे बढ़ावा देने के लिए नियमावली बनाई जाएगी। उन्होंने अधिकारियों से पहले बनी नियमावली ढूंढऩे को कहा है। उसे तात्कालिक जरूरतों के अनुरूप विस्तार दिया जाए। इसमें आयकर छूट जैसे बिंदु भी जोड़े जाएंगे, ताकि अधिक से अधिक लोग दान देने की प्रक्रिया से जुड़ सके। अगले कुछ दिनों में विस्तृत नियमावली बनाकर मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी, फिर उसे सभी मेडिकल कालेजों में लागू किया जाएगा।
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'गिव बैक' की होगी पहल
चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.वीएन त्रिपाठी ने कहा कि किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए उसके पूर्व छात्र-छात्राएं बड़े दानदाता होते हैं। इसलिए दान के लिए नियमावली बनने के साथ ही सभी कालेजों की एल्युमिनी एसोसिएशन के माध्यम से पूर्व छात्र-छात्राओं से संवाद किया जाएगा। आइआइटी की तर्ज पर यहां भी 'गिव बैक' की पहल होगी और देश-दुनिया में छाए उत्तर प्रदेश के मेडिकल कालेजों के पूर्व छात्र-छात्राएं इसमें पीछे नहीं रहेंगे।

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