Monday 9 November 2015

बनेंगे अंग संरक्षण केंद्र, ऑनलाइन प्रतीक्षा सूची


-अंगदान अभियान-
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-अंग प्रत्यारोपण नीति के कानूनी दर्जा लेते ही काम शुरू
-नीति में अंगदाताओं की चिंता व प्रोत्साहन पर भी जोर
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डॉ.संजीव, लखनऊ : प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित अंग प्रत्यारोपण कानून में अंगदाताओं की चिंता के साथ उनके प्रोत्साहन पर भी जोर दिया जाएगा। प्रदेश भर में अंग संरक्षण केंद्र बनाने के साथ प्रत्यारोपण के लिए राज्य स्तरीय ऑनलाइन प्रतीक्षा सूची बनेगी।
केंद्र सरकार ने सुरक्षित अंगदान को बढ़ावा देने के लिए 27 मार्च 2014 को अधिसूचना जारी कर ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन्स एंड टिश्यूज रूल्स 2014 को मंजूरी दी थी। लेकिन प्रदेश में अब तक इस बाबत कोई नीति नहीं बन सकी है। दैनिक जागरण में लगातार अभियान चलाए जाने के बाद शासन ने अंग प्रत्यारोपण नीति के लिए कानून बनाने का फैसला किया है। प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) डॉ.अनूप चंद्र पांडेय की अगुवाई में नीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसमें प्रदेश के प्रमुख हिस्सों में अंग संरक्षण केंद्र बनाने का प्रस्ताव किया गया है। राजकीय मेडिकल कालेजों में प्रस्तावित इन अंग संरक्षण केंद्रों में अंगदानियों के ब्रेन डेथ होते ही उनके अंगों का संरक्षण कर लिया जाएगा। उसके बाद प्रदेश के विभिन्न अंग प्रत्यारोपण केंद्रों पर प्रतीक्षा सूची के अनुसार संबंधित अंगों को प्रत्यारोपण के लिए भेजा जाएगा। प्रत्यारोपण में पारदर्शिता लाने के लिए प्रदेश स्तरीय नेटवर्क बनाकर ऑनलाइन प्रतीक्षा सूची बनाई जाएगी। जैसे ही किसी प्रत्यारोपण केंद्र के चिकित्सकों की टीम किसी मरीज के लिए प्रत्यारोपण अनिवार्य करेगी, उसका ब्योरा उक्त वेबसाइट में दर्ज हो जाएगा। उससे मैचिंग अंग किसी भी अंग संरक्षण केंद्र में आते ही प्रतीक्षा सूची से नाम बुलाकर प्रत्यारोपण सुनिश्चित किया जाएगा। राज्य में प्रत्यारोपण के लिए मैचिंग व्यक्ति पंजीकृत न होने पर उक्त अंग को आसपास के राज्यों या देश के किसी अन्य राज्य में भेजने पर भी विचार किया जाएगा।
बनेंगे विशेषज्ञों के पैनल
ब्रेन डेथ घोषित करने के लिए अंग संरक्षण केंद्रों के अलावा राज्य, जिला व संस्थान स्तर पर विशेषज्ञों के पैनल होंगे। इन पैनलों में अंग प्रत्यारोपण करने वाले चिकित्सक को शामिल नहीं किया जा सकेगा। संस्थान स्तर की समिति में अस्पताल के चिकित्सा निदेशक या अधीक्षक के साथ दो वरिष्ठ चिकित्सक और एक महिला सहित दो ऐसे लोग शामिल किये जाएंगे जो किसी उच्च सरकारी पद पर तैनात रह चुके हों। राज्य या जिला स्तरीय पैनल सीएमओ की अध्यक्षता में बनेगा, जिसमें दो वरिष्ठ चिकित्सकों व एक महिला सहित दो उच्च पदस्थ लोगों के साथ प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव सदस्य होंगे।
उठाएंगे संरक्षण का खर्च
अंगदान के बाद अंग संरक्षण व उसे प्रत्यारोपण केंद्र पर पहुंचाने का खर्चा भी इस नीति का हिस्सा होगा। ब्रेन डेथ घोषित शरीर से अंगों को निकालकर उन्हें संरक्षित करने व प्रत्यारोपण केंद्र तक पहुंचाने में आने वाला खर्च सरकार उठाएगी। अभी शासन असाध्य रोगों पर होने वाले खर्च के लिए अलग से अनुदान देती है। इस खर्च को इसी मद में जोड़ा जाएगा। इसके अलावा देहदान करने वालों के इलाज का खर्च उठाने का प्रस्ताव भी इस नीति में किया जाएगा।
चिकित्सा शिक्षा नेटवर्क साबित होगा मददगार
प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) डॉ.अनूप चंद्र पांडेय का कहना है कि अंगदान व अंग प्रत्यारोपण को प्रदेश में मजबूती से लागू करने में चिकित्सा शिक्षा का नेटवर्क अत्यधिक मददगार साबित होगा। प्रदेश भर में हमारे मेडिकल कालेज हैं और वहां सुपरस्पेशियलिटी शिक्षा की व्यवस्था है। कुछ परास्नातक शिक्षा संस्थान अतिविशिष्टता से जुड़े ही हैं। ऐसे में मेडिकल कालेजों को मजबूत अंगदान व अंग प्रत्यारोपण को बढ़ाने की रणनीति बनाई गयी है। पहले चरण में लिवर, किडनी व रेटिना प्रत्यारोपण को मुहिम चलाकर बढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही शरीरदान के माध्यम से अन्य अंगों के प्रत्यारोपण के लिए नेटवर्क को मजबूती दी जाएगी। 

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