Monday 2 November 2015

आबादी 20 करोड़, शरीरदान 20 भी नहीं


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-अंगदान अभियान-
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-दो साल में दोगुना से ज्यादा बढ़े देश में अंगदान के मामले
-उत्तर प्रदेश में शुरुआत तो हुई पर आंकड़ा सात पर अटका
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डॉ.संजीव, लखनऊ
उत्तर प्रदेश की आबादी 20 करोड़ है लेकिन वर्ष में 20 अंगदान भी नहीं होते हैं। बीते वर्ष यहां सिर्फ सात शरीरदान हुए, वह भी तब, जबकि इसके लिए तमाम अतिरिक्त कोशिशें की गयीं।
देश में अंग प्रत्यारोपण के लिए दो विधियां हैं। एक तो जीवित व्यक्ति के अंग लेकर उनका प्रत्यारोपण कराया जाता है। ऐसे दानदाताओं को लिविंग यानी जीवित डोनर कहा जाता है। इसके अंतर्गत अंगदाता को सामान्यत: अंग की आवश्यकता वाले व्यक्ति का रिश्तेदार होना जरूरी होता है और फिर अंग प्रत्यारोपण की अनुमति की प्रक्रिया भी खासी जटिल होती है। ऐसे में मस्तिष्क काम करना बंद कर देने (ब्रेन डेथ) या हृदय काम करना बंद कर देने (कार्डियक डेथ) की स्थिति में शरीर दान कर दिया जाता है। इसे अभी तक कैडबर डोनेशन कहा जाता था, किन्तु कैडबर से शव का भान होने के कारण अब इसे डिसीज्ड डोनेशन (बीमार या घायल शरीर का दान) कहा जाने लगा है।
लिविंग डोनेशन को लेकर तमाम समस्याएं व जटिलताएं सामने आने के कारण पूरी दुनिया में डिसीज्ड डोनेशन पर जोर है। भारत में भी इस दिशा में सक्रियता आई है किन्तु उत्तर प्रदेश इस मामले में फिसड्डी है। उत्तर प्रदेश की तुलना में एक तिहाई आबादी वाले तमिलनाडु में वर्ष 2014 में 136 लोगों ने शरीरदान किया है। इसके बाद 58 शरीरदानों के साथ केरल दूसरे और 52 के साथ महाराष्ट्र व आंध्रप्रदेश तीसरे स्थान पर है। छह करोड़ की आबादी वाले कर्नाटक व गुजरात राज्यों से भी क्रमश: 28 व 20 लोगों ने शरीरदान किया है, वहीं महज 13 लाख आबादी वाले पुडुचेरी में 13 और 11 लाख आबादी वाले चंडीगढ़ से छह लोगों ने वर्ष 2014 में शरीरदान किया है। उत्तर प्रदेश के लिए संतोष की बात बस यह हो सकती है कि जहां वर्ष 2012 व 2013 में यहां प्रत्यारोपण के लिए एक भी शरीर दान में नहीं मिला था, वर्ष 2014 में सात लोगों ने पहल की। इसके विपरीत राष्ट्रीय स्तर पर दो वर्षों में शरीरदान के प्रति रुझान बढ़ा और कुल मिलाकर शरीरदान करने वालों की संख्या दोगुने से अधिक हो गयी है। केरल ने सबसे तेज रफ्तार पकड़ी है, जहां वर्ष 2012 में महज 12 शरीरदान हुए थे, जो 2013 में बढ़कर 35 और फिर 2014 में बढ़कर 58 हो गए।
बनें प्रत्यारोपण हितैषी नियम
इंडियन सोसायटी ऑफ ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन के सचिव डॉ.नारायण प्रसाद के मुताबिक उत्तर प्रदेश में शरीरदान कम होने और अंग प्रत्यारोपण सीमित होने की बड़ी वजह प्रत्यारोपण हितैषी नियमों का न होना है। इसे बढ़ाने के लिए नए सिरे से नियम बनाने होंगे। प्रत्यारोपण के लिए प्रोत्साहन राशि के बारे में भी सोचा जाना चाहिए। साथ ही ब्रेन डेथ होने की स्थिति में अंगों को बचाए रखने के लिए पुख्ता इंतजाम किये जाने चाहिए। प्रत्यारोपण के लिए अंग को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए ग्र्रीन कॉरीडोर बनाने की राह भी पुख्ता की जानी चाहिए।
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शरीरदान की स्थिति
राज्य -2012 -2013 -2014
तमिलनाडु -83  -131 -136
केरल      -12  -35  -58
महाराष्ट्र   -29  -35  -52
आंध्रप्रदेश -13  -40  -52
कर्नाटक   -17  -18  -39
गुजरात    -18  -25  -28
दिल्ली     -12  -27  -20
पुडुचेरी    -00  -02  -13
उत्तर प्रदेश -00  -00  -07
चंडीगढ़    -12  -00  -06


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