Thursday 19 November 2015

पुराने मेडिकल कालेजों को सौंपी बड़े भाई की भूमिका

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-मजबूती में केजीएमयू व लोहिया संस्थान भी करेंगे मदद
-इलाज के साथ विशेषज्ञों की मदद को बनाई गई रणनीति
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : ताबड़तोड़ खुले नए मेडिकल कालेजों को मजबूती देने के लिए अब पुराने कालेजों को मेंटर संस्थान के रूप में जिम्मेदारी दी गयी है। बड़े भाई की भूमिका में आकर ये संस्थान नए कालेजों का स्तरीय उन्नयन सुनिश्चित करेंगे।
प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के साथ ही सरकारी क्षेत्र में भी मेडिकल कालेजों की संख्या लगभग हर साल बढ़ाई जा रही है। कुछ वर्षों में कन्नौज, अंबेडकर नगर, जालौन में मेडिकल कालेज खोलने के बाद इसी वर्ष सहारनपुर में मेडिकल कालेज की शुरुआत हुई है। अगले वर्ष बांदा व बदायूं मेडिकल कालेज खोलने का प्रस्ताव है। इस तरह एक साथ मेडिकल कालेज खोल तो दिये गए किन्तु वहां ढांचागत विकास नहीं हो सका है। पहले से ही शिक्षकों की कमी झेल रहे चिकित्सा शिक्षा विभाग को इन कालेजों के लिए भारतीय चिकित्सा परिषद से मान्यता पाना खासा दुरूह हो जाता है।
इस स्थिति से निपटने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पुराने मेडिकल कालेजों व चिकित्सा शिक्षा संस्थानों को नए मेडिकल कालेजों के बड़े भाई की भूमिका देने का फैसला किया है। हर नए मेडिकल कालेज के लिए किसी पुराने मेडिकल कालेज या सुपरस्पेशियलिटी चिकित्सा शिक्षा संस्थान को मेंटर संस्थान के रूप में नामित किया है। सहारनपुर मेडिकल कालेज के लिए मेरठ मेडिकल कालेज मेंटर संस्थान की भूमिका में होगा, तो कन्नौज के लिए यह जिम्मेदारी कानपुर को उठानी होगी। जालौन व कन्नौज मेडिकल कालेजों के लिए कानपुर मेडिकल कालेज मेंटर संस्थान की भूमिका में होगा। आजमगढ़ मेडिकल कालेज के लिए गोरखपुर मेडिकल कालेज व किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ को मेंटर संस्थान बनाया गया है, वहीं लखनऊ के राम मनोहर लोहिया संस्थान को अंबेडकर नगर मेडिकल कालेज का मेंटर संस्थान बनाया गया है। अगले वर्ष से प्रस्तावित बांदा मेडिकल कालेज को इलाहाबाद मेडिकल कालेज व कानपुर के हृदय रोग संस्थान का साथ मिलेगा वहीं बदायूं के लिए आगरा मेडिकल कालेज की टीम बड़े भाई की भूमिका में होगी। चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.वीएन त्रिपाठी ने बताया कि मेंटर संस्थानों में नए स्थापित मेडिकल कालेजों के चिकित्सकों व चिकित्सा शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। कैंसर, हृदय रोग, लिवर व किडनी सहित असाध्य रोगों के लिए सुपरस्पेशियलिटी सेवाएं भी अपने संसाधनों से उपलब्ध कराई जाएंगी।

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