Friday 13 November 2015

भूतिया व खंगार को पिछड़ा मानने से सरकार का इन्कार


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-खुद को यदुवंशी बताते हैं भूतिया जाति के लोग
-बुंदेलखंड के जिलों में रहते हैं अर्कवंशीय खंगार
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की संस्तुति के बाद भी प्रदेश सरकार ने भूतिया और खंगार जातियों को पिछड़ा मानने से इन्कार कर दिया है। इन जातियों से जुड़े लोग बुंदेलखंड व इलाहाबाद के आसपास भारी संख्या में रहते हैं, वैसे अब पूरे प्रदेश में फैल चुके हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के समक्ष भूतिया व खंगार जाति के लोगों ने स्वयं को पिछड़े वर्ग में शामिल करने की गुहार की थी। इलाहाबाद व आसपास के जिलों में बहुतायत में रहने वाले भूतिया जाति के लोगों का कहना था कि वे यदुवंशी हैं। मांग की गयी थी कि अन्य पिछड़े वर्ग की अनुमन्य सूची में उन्हें अहीर, यादव, यदुवंशीय व ग्वाला के साथ सूचीबद्ध किया जाए। इसी तरह खंगार जाति के लोग बुंदेलखंड के झांसी, उरई, बांदा, जालौन व आसपास के क्षेत्र में रहते हैं। इन लोगों ने मांग की थी कि उन्हें पिछड़े वर्ग की अनुमन्य सूची में अरख व अर्कवंशीय के साथ सूचीबद्ध किया जाए।
उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग में हुई सुनवाई में इन जातियों के प्रतिनिधियों का तर्क था कि इलाहाबाद व बुंदेलखंड के आसपास के जिलों में रहने के अलावा अब वे लोग पूरे प्रदेश में फैल गए हैं। उनके पारिवारिक रिश्ते भी यदुवंशियों व अर्कवंशियों में हैं, इसलिए उन्हें अन्य पिछड़े वर्ग में शामिल किया जाना चाहिए। आयोग के अध्यक्ष राम आसरे विश्वकर्मा ने इस संबंध में आदेश जारी कर इन दोनों जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में जोडऩे को कहा था। यह आदेश अनुमति के लिए शासन के पास गया, तो सरकार ने इन्कार कर दिया। हाल ही में आयोग के पास शासन से इस बाबत जानकारी आयी, जिसमें कहा गया है कि इन जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल नहीं किया जा सकता है। इस संबंध में आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि आयोग ने जांच-पड़ताल व तथ्यों के आधार पर फैसला किया था, किन्तु सरकार ने इन्कार कर दिया। उधर इन जातियों के प्रतिनिधियों का कहना है कि एक ओर सरकारें आयोग की संस्तुति के बिना ही राजनीतिक कारणों से जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल कर लेती हैं, वहीं इस मामले में आयोग के फैसले को भी नहीं माना गया। वे लोग उच्च न्यायालय में राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देंगे।

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