Saturday 10 October 2015

अब मेडिकल कालेजों में सीटें बचाने की मशक्कत


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-तीन बार वॉक इन के बाद भी शिक्षकों के 25 फीसद पद खाली
-210 पदों के लिए लोक सेवा आयोग से भर्ती का हो रहा इंतजार
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ
प्रदेश के मेडिकल कालेजों को अच्छे शिक्षक नहीं मिल रहे हैं। सीधी भर्ती के लिए ढाई माह में तीन बार वॉक इन साक्षात्कार के बाद भी 25 फीसद पद खाली हैं। अब चिकित्सा शिक्षा विभाग भारतीय चिकित्सा परिषद के निरीक्षण में सीटें बचाने के लिए आंतरिक तबादलों की मशक्कत करने में जुटा है।
प्रदेश के 11 सरकारी मेडिकल कालेजों में 584 असिस्टेंट प्रोफेसर, 238 एसोसिएट प्रोफेसर व 222 प्रोफेसरों को मिलाकर 1089 पद सृजित हैं। सरकार अगले सत्र में बांदा व बदायूं मेडिकल कालेज खोलने का एलान कर चुकी है। तीन माह पूर्व प्रदेश के मेडिकल कालेजों में 517 पद रिक्त थे। पिछले वर्ष शिक्षकों की कमी के कारण मान्यता लेने में खासी दिक्कत हुई थी। कानपुर जैसे पुराने मेडिकल कालेज को तो एमसीआइ से नोटिस तक मिल गया था।
इस बार एमसीआइ के निरीक्षण से पहले ही वॉक इन साक्षात्कार के माध्यम से संविदा पर शिक्षकों की नियुक्ति का फैसला लिया गया। सबसे पहले 31 जुलाई को 237 पदों के लिए साक्षात्कार हुए। फिर सात अगस्त को 105 और 11 सितंबर को 175 पदों के लिए साक्षात्कार हुआ। ढाई माह में तीन बार साक्षात्कार के बाद भी विभाग शिक्षकों के पद पूरी तरह भरने में सफल नहीं हुआ। आज भी 25 फीसद शिक्षकों के पद खाली हैं। मान्यता व सीटें बचाने के लिए पुराने कालेजों से शिक्षकों को उन कालेजों में स्थानांतरित किया जा रहा है, जहां एमसीआइ का निरीक्षण होना होता है। हालात इतने खराब हैं कि कई बार तो अधिकारी भी जानते हैं कि शिक्षक ज्वाइन करने के बाद कालेजों में नहीं रुकते किन्तु वे एमसीआइ की मान्यता छिनने के डर से उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करते। इस मसले को शासन स्तर पर गंभीरता से लिया गया है। प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) डॉ.अनूप चंद्र पांडेय ने प्राचार्यों की बैठक में सभी पद भरने व शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के स्पष्ट निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि लोक सेवा आयोग से 210 शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। इसका लाभ भी कालेजों को मिलेगा।
चिकित्सालय भी हों चुस्त-दुरुस्त
प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) ने एमसीआइ निरीक्षण के मद्देनजर मेडिकल कालेजों से संबद्ध चिकित्सालयों को भी चुस्त दुरुस्त करने के निर्देश दिये हैं। शासनादेश में कहा गया है कि चिकित्सालयों की गड़बड़ी के कारण भी एमसीआइ की आपत्तियों संबंधी शिकायत प्राचार्यों ने बताई है। ऐसे में सभी चिकित्सा अधीक्षक न्यूनतम संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करें और इसके लिए एमसीआइ मानकों को भी ध्यान में रखा जाए।
कन्नौज-जालौन पहुंची एमसीआइ
भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआइ) ने प्रदेश के मेडिकल कालेजों में निरीक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। शुक्रवार को एमसीआइ टीम कन्नौज व जालौन पहुंची। टीम ने भर्ती मरीजों की संख्या से लेकर उपकरण चलने व चिकित्सकों की उपस्थिति आदि का जायजा लिया। कन्नौज में तो चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.वीएन त्रिपाठी स्वयं भी डटे रहे। 

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