Wednesday 7 October 2015

निजी क्षेत्र में दिये जाएंगे सरकारी अस्पताल


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जागरण विशेष
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-अस्पताल निर्माणाधीन, जून 2016 तक सौंपे जाएंगे
-100 बेड के 49 अस्पतालों के निजीकरण की तैयारी
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डॉ. संजीव, लखनऊ
प्रदेश सरकार सेहत सुधार में मील का पत्थर रखने जा रही है। सरकार सौ बेड वाले 49 अस्पताल बनाकर निजी हाथों में सौंप देगी। वहां मरीजों को बिल्कुल सरकारी अस्पतालों की तरह नि:शुल्क इलाज मिलेगा जबकि सरकार अस्पताल संचालक को सीधे भुगतान करेगी।
सरकारी चिकित्सा सेवाओं की बेहतरी में सर्वाधिक दिक्कतें डाक्टरों को ढूंढऩे में आ रही हैं। इससे निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण की पहल की जा रही है। शुरुआत 49 जिलों में प्रस्तावित सौ बेड वाले जच्चा-बच्चा अस्पतालों से हो रही है। प्रदेश सरकार एक हजार करोड़ रुपये खर्च कर अस्पताल बनवाने के बाद इन्हें निजी क्षेत्र को सौंप देगी। निजी क्षेत्र इन अस्पतालों में उपकरणों से लेकर डॉक्टर, नर्स व कर्मचारियों की व्यवस्था करेंगे। हां, इन पर सरकारी नजर रखने के लिए जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक इसकी प्रभारी होंगी।
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एनएचएम की हरी झंडी
प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) अरविंद कुमार ने बताया कि परियोजना को मुख्य सचिव के साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की अधिशासी समिति की हरी झंडी मिल गयी है। अब औद्योगिक विकास आयुक्त के पास निविदा के लिए प्रस्ताव जाएगा। अस्पतालों का निर्माण कार्य चल रहा है। कोशिश है कि जून, 2016 तक आवंटन पूरा कर अस्पतालों का संचालन शुरू कर दिया जाए। भारत सरकार की मदद लेने के लिए प्रस्तावों का ब्योरा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भी भेजा जा रहा है। निजी संचालकों को एक से लेकर दस अस्पतालों के समूह की जिम्मेदारी दी जाएगी जिससे विविधता के साथ प्रतियोगिता भी बनी रहे।
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जांच व इलाज मुफ्त
प्रमुख सचिव ने बताया कि निजीकरण का असर मरीजों के इलाज पर नहीं पड़ेगा। उन्हें अन्य सरकारी अस्पतालों की तरह मुफ्त इलाज व जांच की सुविधा मिलेगी। जच्चा-बच्चा के इलाज की सुविधाएं होंगी। सरकार पाक्षिक या मासिक आधार पर अस्पतालों को भुगतान करेगी। इसमें बेड भरने से लेकर मरीजों की संतुष्टि तक के मानक बनाए जायेंगे। सरकारी अस्पतालों की तरह यहां मरीजों को एक पर्चा बनाना होगा।
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एक अच्छी पहल है 
चिकित्सकों की कमी नहीं पूरा हो पा रही, इसलिए हम निजी हाथों में इलाज सौंपने की पहल करने जा रहे हैं। मॉडल सफल हुआ तो इसे अन्य अस्पतालों पर भी अमल किया जा सकेगा।
-अहमद हसन, स्वास्थ्य मंत्री
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49 जिलों से शुरुआत
आगरा, अलीगढ़, इलाहाबाद, बहराइच, बलिया, बाराबंकी, बरेली, बिजनौर, बदायूं, बुलंदशहर, देवरिया, इटावा, फैजाबाद, फीरोजाबाद, गाजियाबाद, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, जौनपुर, कानपुर देहात, मैनपुरी, मऊ, मेरठ, मीरजापुर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, प्रतापगढ़, रायबरेली, सहारनपुर, शाहजहांपुर, सुलतानपुर, वाराणसी, अंबेडकर नगर, बागपत, चंदौली, हरदोई, ज्योतिबाफुले नगर, कन्नौज, कौशांबी, महाराजगंज, संत कबीर नगर, सिद्धार्थ नगर, सोनभद्र, संत रविदास नगर, कुशीनगर, एटा, औरैया और आजमगढ़।
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ये दो अस्पताल भी दौड़ में
इन अस्पतालों के अलावा राजधानी में प्रस्तावित एक हजार बेड का एक अस्पताल व गोमती नगर में प्रस्तावित दो सौ बेड का अस्पताल भी निजीकरण की दौड़ में शामिल हैं। एक हजार बेड के अस्पताल में पांच सौ बेड हृदय रोगियों के लिए और 500 अन्य अतिविशिष्टताओं के लिए आरक्षित होंगे। इसके निजीकरण का प्रस्ताव निविदा प्रक्रिया के लिए पहुंच चुका है। गोमती नगर के दो सौ बेड वाले अस्पताल को भी इसी तर्ज पर चलाया जाएगा।
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