Tuesday 20 October 2015

न उम्र का बंधन, न योग्यता की दरकार


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-झोलाछाप फार्मासिस्ट-
-दोबारा होगी विजिलेंस जांच व कार्रवाई
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डॉ.संजीव, लखनऊ
फार्मासिस्टों की कमी और बेरोजगारी के आरोपों के बीच वर्षों से प्रदेश में नकली फार्मासिस्टों पर नकेल का इंतजार हो रहा है। इन झोलाछाप फार्मासिस्टों के लिए न तो उम्र का बंधन प्रभावी हुआ और न ही योग्यता की सीमाओं का ध्यान रखा गया। जांच शुरू हुई उसमें भी कोई नतीजा नहीं निकला।
फार्मासिस्ट पंजीकरण का जिम्मा फार्मेसी काउंसिल के पास है पर बीते कुछ वर्षों से वही कठघरे में है। काउंसिल पर मनमाने ढंग से झोलाछाप फार्मेसिस्ट पैदा करने के आरोप लगे तो प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएल शर्मा की अध्यक्षता में फार्मेसी एक्ट की धारा 45 के अंतर्गत जांच के लिए आयोग गठित कर दिया। इस आयोग ने अपनी पहली रिपोर्ट में जो तथ्य सौंपे, वे चौंकाने वाले थे। पता चला कि फार्मेसी काउंसिल अनियमितताओं के ढेर पर बैठी थी। पंजीकरण के लिए प्रदेश के किसी कालेज से फार्मेसी में डिग्र्री या डिप्लोमा होना जरूरी है किन्तु यहां तो इस ओर ध्यान ही नहीं दिया गया।
आयोग अपनी अंतिम रिपोर्ट देता, उससे पहले ही सरकार ने उसे भंग कर दिया। मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो सरकार ने अनियमितताओं की जांच भ्रष्टाचार निवारक संगठन को सौंपने की बात कही। यह फार्मासिस्टों की धमक ही थी कि बाद में गृह विभाग ने उक्त जांच वापस लेने की घोषणा कर दी। मामला अदालत तक पहुंचने और सवाल उठने पर 29 जनवरी 2014 को प्रदेश सरकार ने राज्य फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष को ही जांच सौंप दी। हालांकि सवाल इस पर भी उठे कि दोषी अपनी ही जांच कैसे कर लेगा किन्तु जांच पूरी होती, इससे पहले ही इस वर्ष अगस्त, 2015 में फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष को हटा दिया गया। अब जांच फिर रुक गई है और झोलाछाप फार्मासिस्ट पूरी मनमानी से काम कर रहे हैं।
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यह मामला संज्ञान में है। दोबारा विजिलेंस जांच कराई जाएगी। फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष को न्यायालय के आदेश पर हटाया गया था।
-अरविंद कुमार, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य
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हजारों फर्जी फार्मासिस्ट
आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में हजारों फर्जी फार्मासिस्ट सक्रिय हैं। जांच में पता चला कि 77 लोगों को तो 18 साल का होने से पहले ही फार्मासिस्ट पंजीकृत कर लिया गया। 66 ऐसे लोग फार्मासिस्ट पंजीकृत हो गए जिनके पास हाईस्कूल व इंटर में विज्ञान विषय ही नहीं था। 2176 का बिना उपयुक्त प्रमाणपत्रों के पंजीकरण हुआ था तो 459 के पास फार्मेसी की कोई डिग्र्री या डिप्लोमा नहीं मिला। 755 मामलों में एक ही पंजीकरण क्रमांक पर एक से अधिक को फार्मासिस्ट बना दिया गया था। 119 लोग प्रदेश के बाहर के फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर पंजीकरण करा चुके थे।
  

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