Monday 19 October 2015

परीक्षा की जगह सीधी भर्ती चाहते सरकारी डॉक्टर

-परास्नातक डिप्लोमा के लिए 620 ने किया आवेदन
-एमडी-एमएस के लिए प्रवेश परीक्षा करनी पड़ती पास
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : एमबीबीएस के बाद सरकारी सेवा में आ गए डॉक्टर आगे की पढ़ाई के लिए भी शार्टकट पर ही जोर दे रहे हैं। मेडिकल कालेजों में परास्नातक डिप्लोमा के लिए होने वाली सीधी भर्ती में प्रवेश के लिए मारा-मारी मची है। राज्य के 620 डॉक्टरों ने इसके लिए आवेदन किया है। स्वास्थ्य विभाग ने भी इनकी मेरिट बनाने के लिए स्टेटस रिपोर्ट जारी कर दी है।
पुराने मेडिकल कालेजों में संचालित होने वाले परास्नातक पाठ्यक्रमों में प्रांतीय चिकित्सा सेवा (पीएमएस) के चिकित्सकों की भर्ती सुगम करने के लिए कुछ वर्ष पूर्व नियम बदले गए थे। इसमें एमडी, एमएस जैसे डिग्र्री पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए इन्हें मेडिकल परास्नातक प्रवेश परीक्षा (पीजीएमई) उत्तीर्ण करनी होती है। हां, इनका प्रवेश आसान करने के लिए पीजीएमई में पीएमएस के लिए तीस फीसद सीटें आरक्षित कर दी गयी हैं। इसका लाभ लेने के लिए चिकित्सक का पांच साल तक सरकारी सेवा में होना जरूरी है। इसकी मेरिट व चयन का जिम्मा चिकित्सा शिक्षा विभाग के पास होता है। इसके विपरीत डीसीएच, डीएनबी जैसे लोकप्रिय परास्नातक डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के लिए तो प्रवेश परीक्षा अनिवार्य नहीं है। इसकी तीस फीसद सीटों पर प्रवेश के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से सूची चिकित्सा शिक्षा विभाग को सौंप दी जाती है। इसमें अनुभव व सेवा काल की चरित्र पंजिका आदि को आधार बनाकर मेरिट बनती है।
 प्रदेश के पीएमएस चिकित्सक भी सीधी भर्ती वाले डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में प्रवेश को लेकर ही अधिक उत्साहित हैं। इसी साल को लिया जाए तो 620 चिकित्सकों ने डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन किया है। इस पर स्वास्थ्य विभाग ने इन सभी आवेदनों की स्टेटस रिपोर्ट जारी कर दी है, ताकि मेरिट से पहले इन पर आपत्तियां आदि सामने आ सकें। स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी सेवा में जाने के बाद अधिकांश चिकित्सक बीच-बीच में गैरहाजिर भी हो जाते हैं। तमाम चिकित्सकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी चल रही है। सर्वाधिक मारामारी कानपुर व लखनऊ मेडिकल कालेजों में प्रवेश को लेकर है। चिकित्सकों के मुताबिक डिप्लोमा में सीधी भर्ती तो होती ही है, पूरा वेतन भी मिलता रहता है, इसलिए इस ओर ज्यादा मारामारी रहती है।
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इंसेफ्लाइटिस के लिए दस को मंजूरी
प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) अरविंद कुमार ने गोरखपुर मेडिकल कालेज में डिप्लोमा इन चाइल्ड हेल्थ पाठ्यक्रम में पढ़ाई के लिए दस चिकित्सकों को मंजूरी दी है। आदेश में कहा गया है कि पूर्वांचल में इंसेफ्लाइटिस को नियंत्रित करने के लिए विशेष चिकित्सक उपलब्ध कराने की दृष्टि से इन्हें डीसीएच पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने की अनुमति दी गयी है।
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