Thursday 8 October 2015

उपकरण न डॉक्टर, खुल गए मेडिकल कालेज


-प्रमुख सचिव व अन्य अधिकारियों के निरीक्षण में खुली पोल
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डॉ.संजीव, लखनऊ
काम संभालने के बाद प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) डॉ.अनूप चंद्र पाण्डेय बीते माह कन्नौज मेडिकल कालेज का निरीक्षण करने पहुंचे तो चौंक गए। वहां वेंटिलेटर कमरे में बंद रखे थे, डायलिसिस यूनिट महज दिखावे के लिए थी और टीएमटी मशीन धूल खा रही थी।
यह स्थिति महज कभी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का संसदीय क्षेत्र रहे और इस समय मुख्यमंत्री की पत्नी डिंपल यादव के संसदीय क्षेत्र कन्नौज मेडिकल कालेज की ही नहीं है। बीते पांच वर्षों में खुले सभी नए मेडिकल कालेजों का यही हाल है। इनमें न उपकरण हैं, न डॉक्टर, बस नाम के लिए कालेज खोल दिये गए हैं। भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआइ) की मान्यता लेने के लिए करोड़ों के उपकरण खरीद लिये गए, पुराने कालेजों से अस्थायी रूप से तबादला कर शिक्षक दिखा दिये गए किंतु वास्तव में न तो ये उपकरण चल रहे हैं, न ही डॉक्टर वहां ड्यूटी करते हैं। स्वयं निरीक्षण के अलावा प्रमुख सचिव ने विशेष सचिव व अन्य अधिकारियों को भेजकर सभी मेडिकल कालेजों का निरीक्षण कराया तो यही तथ्य सामने आया।
राज्य में नए मेडिकल कालेज खुलने का सिलसिला 2011 में अंबेडकर नगर से शुरू हुआ था। उसके बाद 2012 में कन्नौज, 2013 में जालौन व आजमगढ़ और इसी वर्ष 2015 में सहारनपुर में मेडिकल कालेज की शुरुआत हुई। अब अगले वर्ष 2016 में बांदा व बदायूं में मेडिकल कालेज खोलने की तैयारी चल रही है। हालात ये हैं कि इन कालेजों से संबद्ध अस्पतालों में मरीजों को विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधाएं मिलना तो दूर, थोड़ा सा गंभीर होने पर भी उनका इलाज नहीं हो पाता है। दरअसल इन कालेजों में ज्यादातर डॉक्टर आते ही नहीं और जो आते हैं, उनमें भी अधिसंख्य रुकते नहीं है। ऐसे में गंभीर मरीज आने पर उन्हें आसपास के बड़े व पुराने मेडिकल कालेज रेफर कर दिये जाते हैं। अंबेडकर नगर से लखनऊ, कन्नौज से कानपुर, जालौन से झांसी या कानपुर, आजमगढ़ से बनारस व सहारनपुर से मरीज मेरठ रेफर किये जाते हैं।
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पीजी कोर्स न होने से दिक्कत
नए कालेजों में 25 प्रतिशत डॉक्टर तो हैं ही नहीं। जो हैं, वे भी नियमित नहीं आते। चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.वीएन त्रिपाठी के मुताबिक अभी इन कालेजों में एमडी, एमएस जैसे परास्नातक पाठ्यक्रम (पीजी कोर्स) नहीं शुरू हुए हैं, इसलिए दिक्कत हो रही है। पांच साल का कालेज हो जाने पर स्थायी मान्यता के साथ ही एमसीआइ से पीजी कोर्स की मान्यता भी मिलेगी। इसके बाद जूनियर डॉक्टरों की उपलब्धता से इलाज सुगम हो जाएगा।
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रखरखाव व भर्तियों पर जोर
प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) अनूप चंद्र पाण्डेय नए कालेजों की इन स्थितियों को स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा कि अब उपकरणों के संचालन व समग्र रखरखाव, 24 घंटे संबद्ध अस्पतालों में इलाज व हर पद भरने पर जोर है। लोक सेवा आयोग को 210 पदों का अधियाचन भेजा गया है। प्राचार्यों से संविदा पर सीधी भर्ती को कहा गया है। हाल ही 600 नर्सेज भर्ती कर उनकी कमी दूर की गयी है। 

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