Thursday 21 April 2016

विश्वविद्यालयों में आरक्षण पर प्रमुख सचिव तलब


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-राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अपील को कहा
-विश्वविद्यालय की जगह विभाग को इकाई मानकर आरक्षण देने का मामला
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : सूबे के राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की आरक्षण व्यवस्था में विभाग व पदनाम को एक इकाई माने जाने के मसले पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने आपत्ति जाहिर की है। आयोग अध्यक्ष ने इस मसले पर प्रमुख सचिव (उच्च शिक्षा) को तलब किया है।
विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू करने में सभी प्रवक्ताओं (असिस्टेंट प्रोफेसर) को सम्मिलित करते हुए एक अलग संवर्ग और इसी प्रकार एसोसिएट प्रोफेसर के सभी पदों को शामिल करते हुए अलग संवर्ग माना जाता था। मामला पहले उच्च न्यायालय और फिर सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा, जहां से मिले निर्देशों के अनुपालन में अब विश्वविद्यालय की जगह विभाग को एक इकाई मानते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर के पदों के लिए आरक्षण लागू करने की व्यवस्था लागू की गयी थी।
बीते वर्ष 30 नवंबर 2015 को इस बाबत शासनादेश जारी होने के बाद इसका असर अब दिखने लगा है। विश्वविद्यालयों द्वारा भर्ती के लिए जारी हो रहे विज्ञापनों में विभाग को इकाई मानकर आरक्षण लागू किया जा रहा है। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने इस पर आपत्ति की है। आयोग के अध्यक्ष राम आसरे विश्वकर्मा ने उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को इस मसले पर तलब किया है। उनका कहना है कि विभाग को इकाई मान आरक्षण देने से पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को नुकसान हो रहा है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में ऐसा होने के कारण इस मामले में सबसे पहले सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अपील के लिए याचिका दाखिल की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में ठीक से पैरवी न किये जाने के कारण यह स्थिति आयी है। विशेष अपील के साथ ही इसकी जोरदार पैरवी की तैयारी भी होनी चाहिए। इन सभी बिंदुओं पर प्रमुख सचिव से तो वार्ता होगी। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही मसले पर ध्यानाकर्षण कराते हुए मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा है, ताकि पिछड़े वर्गों के हित पूरी तरह संरक्षित रहे। इस पत्र में उन्होंने सिद्धार्थ नगर की सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी का हवाला भी दिया है, जहां हाल ही में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकला है और नये नियमों के चलते आरक्षित पदों की संख्या बहुत कम रह गयी है।

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