Thursday 14 April 2016

चार लाख से ज्यादा को नहीं हुई शुल्क प्रतिपूर्ति

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-बचे विद्यार्थियों में 90 फीसद से अधिक पिछड़े वर्ग के
-शासन से इन्हें भुगतान के लिए 421 करोड़ की जरूरत
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: तमाम दावों व कोशिशों के बावजूद चार लाख से ज्यादा विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति राशि नहीं मिल सकी है। इनमें 90 फीसद से अधिक पिछड़े वर्ग के छात्र-छात्राएं हैं। इन सभी को भुगतान के लिए 421 करोड़ रुपये की जरूरत है, जिसे शासन के संज्ञान में लाया जा रहा है।
छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति में तमाम गड़बडिय़ों के आरोपों के बाद पिछले वित्तीय वर्ष 2015-16 की शुरुआत में ही शासन स्तर पर वितरण के लिए पूरी समय सारिणी बना दी गयी थी। इसके बावजूद समय पर न तो छात्रवृत्ति बांटी जा सकी, न ही शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान हुआ। 31 मार्च तक यह भुगतान हुआ भी तो चार लाख से अधिक विद्यार्थी छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति से वंचित रह गए। इनमें भी सर्वाधिक साढ़े तीन लाख से अधिक विद्यार्थी पिछड़ा वर्ग से संबंधित हैं। पिछड़े वर्ग के 13 लाख विद्यार्थियों ने छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए आवेदन किया था। इनमें से 10.44 लाख को छात्रवृत्ति व 9.69 लाख को शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान किया जा सका। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के आंकड़ों को अनुसार अभी भी 2,56,958 को छात्रवृत्ति व 3,32,573 विद्यार्थियों को शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान होना बाकी है। तमाम विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति दोनों का भुगतान करना होता है, इसलिए अधिकारियों का मानना है कि औसत साढ़े तीन लाख से अधिक विद्यार्थी अभी भी ऐसे हैं, जिन्हें छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान नहीं हुआ है।
अनुसूचित जाति के शत प्रतिशत विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान वरीयता पर किया जाता है। इसलिए प्रदेश में अनुसूचित जाति के 6,74,105 विद्यार्थियों को 1161.69 करोड़ रुपये वितरित किये गए हैं। सामान्य वर्ग के 4,28,229 विद्यार्थियों को 565 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। इसके बावजूद सामान्य वर्ग के 35 हजार विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं मिल सकी है। इस तरह पिछड़े व सामान्य वर्ग को मिलाकर चार लाख से अधिक विद्यार्थी ऐसे हैं, जिन्हें छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान नहीं हुआ है। सामान्य वर्ग के लिए 40 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। इसी तरह पिछड़े वर्ग की छात्रवृत्ति के लिए 90 करोड़ और शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए 291 करोड़ रुपये की जरूरत है। अब बचे हुए विद्यार्थियों को शुल्क प्रतिपूर्ति व छात्रवृत्ति के लिए कुल 421 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। पिछड़ा वर्ग विभाग के सचिव डॉ.हरिओम ने बताया कि छात्रवृत्ति के लिए आवंटित बजट में वरीयता के अनुसार अधिकाधिक विद्यार्थियों को लाभान्वित किया गया है। अब जो विद्यार्थी बचे हैं, उनके लिए शासन से अतिरिक्त धनराशि आवंटन का आग्र्रह किया जाएगा।

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