Saturday 23 April 2016

छोडऩी होगी गंभीर मरीज देखते ही रिफर करने की आदत


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-सरकारी डॉक्टर सीखेंगे ट्रॉमा, प्लास्टिक सर्जरी व बर्न मैनेजमेंट
-स्वास्थ्य विभाग उत्कृष्ट संस्थानों से दिलाएगा विशेष प्रशिक्षण
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: सरसौल के पास मार्ग दुर्घटना में घायल एक युवक को लेकर लोग कानपुर के उर्सला अस्पताल पहुंचे तो उसे गंभीर हालत में देख इमरजेंसी में डॉक्टर ने इलाज शुरू किये बिना ही मेडिकल कालेज रिफर कर दिया। यह स्थिति महज उर्सला की नहीं है। प्रदेश भर के जिला अस्पतालों में गंभीर अवस्था में पहुंचने वाले मरीजों को डॉक्टर उपयुक्त इलाज न होने का हवाला देकर पास के मेडिकल कालेज या लखनऊ में एसजीपीजीआइ के लिए रिफर कर देते हैं। अब उन्हें यह आदत छोडऩी होगी। स्वास्थ्य विभाग ने सभी सरकारी डॉक्टरों को ट्रॉमा, प्लास्टिक सर्जरी और बर्न मैनेंजमेंट का विशेष प्रशिक्षण दिलाने का फैसला किया है।
प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में तो दूर, अभी जिला अस्पतालों तक में विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में जलने या दुर्घटना आदि की स्थिति में गंभीर अवस्था में अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों का प्रारंभिक इलाज तक नहीं हो पाता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक आलोक कुमार ने बताया कि इस स्थिति से निपटने के लिए प्रांतीय चिकित्सा सेवा से जुड़े चिकित्सकों को प्रमुख मेडिकल कालेजों व एसजीपीजीआइ सहित उत्कृष्ट संस्थानों में प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। समयबद्ध ढंग से चिकित्सकों को ट्रॉमा व जलने की स्थिति में तात्कालिक चिकित्सकीय प्रबंधन के गुर तो सिखाए ही जाएंगे, उन्हें प्लास्टिक सर्जरी की प्रारंभिक जानकारियों से भी जोड़ा जाएगा। इसे शासन स्तर से मंजूरी मिल गयी है। पहले चरण में इसके लिए डेढ़ करोड़ रुपये की धनराशि निर्धारित की गयी है।
साल भीतर 37 ट्रॉमा सेंटर
प्रदेश में दुर्घटना व अन्य आकस्मिक स्थितियों में इलाज के लिए 37 जिलों में विशिष्ट ट्रॉमा सेंटर्स का निर्माण किया जा रहा है। इनमें से 18 बन चुके हैं और 19 को इसी साल अक्टूबर तक बनाकर चालू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। हर ट्रॉमा सेंटर पर दो एनेस्थीशिया, दो अस्थि रोग व दो सर्जरी विशेषज्ञों के साथ तीन आकस्मिक चिकित्सा अधिकारी तैनात होंगे। इन चिकित्सकों के साथ 24 नर्सिंग स्टाफ सहित कुल 50 लोगों के पद सृजित किये गए हैं।
44 प्लास्टिक सर्जरी व बर्न यूनिट
आग से जुड़ी आपदाओं या दुर्घटना में गंभीर रूप से जख्मी होने पर प्लास्टिक सर्जरी की जरूरत से निपटने के लिए 44 प्लास्टिक सर्जरी व बर्न यूनिट स्थापित की जा रही हैं। इनमें से 29 जिलों कुशीनगर, बरेली, उन्नाव, औरैया, संत रविदास नगर, अमरोहा, मऊ, सोनभद्र, बागपत, इटावा, मुरादाबाद, लखनऊ, सीतापुर, अंबेडकर नगर, सिद्धार्थ नगर, गोरखपुर, देवरिया, वाराणसी, चंदौली, कानपुरनगर, फिरोजाबाद, रामपुर, मेरठ, बुलंदशहर, गाजियाबाद, सहारनपुर, मुजफफरनगर, जौनपुर व प्रतापगढ़ की प्लास्टिक सर्जरी व बर्न यूनिट के लिए तो एक प्लास्टिक सर्जन, दो जनरल सर्जन, तीन आकस्मिक चिकित्सा अधिकारियों सहित 22 पद सृजित भी हो चुके हैं। इनके अलावा 15 अन्य जिलों में भी इन इकाइयों को मंजूरी मिल गयी है और इन्हें मौजूदा वित्तीय वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य है।

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