Monday 24 June 2019

आरएसएस की वैश्विक दस्तक भी है योग दिवस



डॉ.संजीव मिश्र
योग भारतीय वांग्मय का विशिष्ट हिस्सा रहा है। यूं तो योग पूरी दुनिया में अपने वैशिष्ट्य के लिए चर्चित व स्वीकार्य पद्धति के रूप में सामने आया है किन्तु संयुक्त राष्ट्र संघ की स्वीकार्यता के बाद 2015 में पहली बार पूरी दुनिया में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया गया। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर हुआ फैसला तो स्वीकार किया गया किन्तु इसके पीछे 21 जून की तिथि होना भी खासा महत्वपूर्ण है। दरअसल 21 जून राष्ट्र्यी स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिमाम हेडगेवार की पुण्य तिथि है और एक स्वयंसेवक प्रधानमंत्री ने इस दिन योग दिवस घोषित कराकर आरएसएस की वैश्विक दस्तक का पथ भी प्रशस्त किया है। यही कारण है कि पहले साल से ही आरएसएस भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हर देश में योग दिवस को विशेष रूप से मना रहा है।
योग दिवस व आरएसएस के जुड़ाव को समझने के लिए हमें तमाम संयोगों व संभावनाओं को जोड़ना होगा। नरेंद्र मोदी के रूप में आरएसएस के स्वयंसेवक ने देश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई तो आरएसएस व अन्य आनुषांगिक संगठनों का प्रसन्न होना तो अवश्यंभावी था, स्वयंसेवक प्रधानमंत्री के लिए भी अपने मातृ संगठन को गुरु दक्षिणा के रूप में कुछ बड़ा उपहार देना था। ऐसे में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी 27 सितंबर 2014 को जब संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने गए तो उन्होंने योग को भारतीय थाती के रूप में दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। उन्होंने पूरी दुनिया में एक दिन अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव किया और इसे संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्य देशों ने मिलकर मंजूरी दी। इसमें भी 21 जून का ही चयन होना दरअसल देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे एक स्वयंसेवक की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक को श्रद्धांजलि व संगठन को गुरु दक्षिणा मानी गयी। वैसे भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आरएसएस के स्वयंसेवक ही नहीं, प्रचारक भी रहे हैं। उन्हें प्रधानमंत्री बनवाने में आरएसएस की भूमिका से कोई इनकार भी नहीं करता। ऐसे में जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर योग को लेकर प्रधानमंत्री ने मुहिम चलाई और सैद्धांतिक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र ने भी वर्ष का एक दिन दुनिया भर में योग दिवस के रूप में मनाए जाने का फैसला लिया, तो उसकी तारीख पर मंथन हुआ। स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए पहल की थी, तो निश्चित रूप से तिथि तय करने में भी भारत की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने 11 दिसंबर 2014 को जब 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की तो आरएसएस के स्वयंसेवक खासे प्रसन्न हुए। यह दिन संघ के स्वयंसेवकों के लिए पहले ही खासे महत्व का रहा है। 21 जून 1940 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक व पहले सर संघ चालक डॉ.केशवराव बलिराम हेडगेवार का निधन हुआ था। 2015 में जब पहली बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया, उस वर्ष 21 जून को डॉ.हेडगेवार की 75वीं पुण्यतिथि थी। दरअसल आरएसएस की शाखाओं में योग का महत्वपूर्ण योगदान है। शाखाओं में आज भी सूर्य नमस्कार अवश्य होता है और योग पर पूरा जोर दिया जाता है। डॉ.हेडगेवार ने देश की रक्षा के लिए शरीर की मजबूती को माध्यम बनाया। इसलिए शाखाओं में योग-व्यायाम को महत्व दिया जाता है। वे इसे चरित्र निर्माण व राष्ट्रनिर्माण का माध्यम मानते थे। प्रधानमंत्री मोदी ने भी संयुक्त राष्ट्र में योग से संबंधित अपनी बातों में योग को समग्रता के साथ प्रस्तुत किया था।
इस साल एक बार फिर योग दिवस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जोर-शोर से मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पुनः भाजपा की सरकार बनने के बाद एक तरह से यह पहला बड़ा व वैश्विक आयोजन है। आरएसएस के लिए भी यह आयोजन वैश्विक दस्तक का माध्यम बन गया है। आरएसएस के अंतर्राष्ट्रीय कामकाज का जिम्मा संभालने वाली संस्था हिन्दू स्वयंसेवक संघ ने पहले साल ही अमेरिका, इंग्लैंड, नेपाल, ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, फिनलैंड, इटली, फ्रांस, नीदरलैंड व नार्वे में योग दिवस पर विशेष आयोजन किये थे। अब हर वर्ष इसमें वृद्धि हो रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ की पहलके बाद योग दिवस पूरी दुनिया में स्वीकार्य आयोजन के रूप में सामने आया है। ऐसे में आरएसएस के आयोजनों में योग के साथ डॉ.हेडगेवार की पुण्य तिथि भी मनाई जाती है। साथ ही योग व भारतीय वांग्मय पर आरएसएस की वैचारिक प्रतिबद्धताएं भी चर्चा का केंद्र होती हैं। माना जा रहा है कि इस माध्यम से न सिर्फ लोग आरएसएस को जानेंगे, बल्कि संगठन के बारे में होने वाले तमाम विमर्श भी सकारात्मक रूप से सामने लाने में सफलता मिलेगी।

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