Thursday 10 November 2016

दस मेडिकल कालेजों में कौशल विकास केंद्र

-केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मुख्य सचिव से मांगे प्रस्ताव
-आपातकालीन चिकित्सा सहायता पर रहेगा पूरा फोकस
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: प्रदेश के दस सरकारी मेडिकल कालेजों में कौशल विकास केंद्र खोले जाएंगे। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके लिए प्रदेश के मुख्य सचिव से प्रस्ताव मांगे हैं। इन केंद्रों में पूरा फोकस आपातकालीन चिकित्सा सहायता से जुड़े कौशल विकास पर रहेगा।
केंद्र सरकार ने देश भर के सरकारी चिकित्सा शिक्षा संस्थानों में कौशल विकास केंद्र खोलने का फैसला लिया है। उत्तर प्रदेश के हिस्से में ऐसे दस कौशल विकास केंद्र आए हैं। इन केंद्रों में प्रदेश के चिकित्सकों, नर्सों व पैरामेडिकल कर्मियों को आपातकालीन चिकित्सा सहायता से जुड़े प्रशिक्षण दिये जाएंगे। इस पूरी परियोजना पर होने वाला खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। दरअसल समय पर इलाज न पहुंच पाने जैसी आपातकालीन चिकित्सा सुविधाओं की राह में आ रही बाधाओं और कई बार चिकित्सकों को भी आपातकालीन चिकित्सा के मूल तत्वों की जानकारी न होने जैसी समस्याओं का समाधान करने के लिए केंद्र सरकार ने यह योजना प्रस्तावित की है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने इस बाबत मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कौशल विकास केंद्र के लिए दस कालेज चिह्नित कर तत्काल सूची भेजने को कहा है। इन केंद्रों की स्थापना में विलंब न हो, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ क्षेत्रीय निदेशक को इसके लिए नोडल अफसर के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गयी है। उन्होंने प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) को पत्र लिखकर तुरंत नाम भेजने को कहा है।
सुधरेगी ट्रामा की हालत
प्रदेश सरकार दस पुराने मेडिकल कालेजों में ही ये स्किल डेवलपमेंट सेंटर बनाने की पहल कर रही है। दरअसल ये सेंटर वहीं खुलने हैं, जहां एमबीबीएस स्तर की पढ़ाई हो रही हो। ऐसे में प्रदेश के 11 मेडिकल कालेज इसके दायरे में आते हैं। अधिकारियों का मानना है कि इससे ट्रामा की हालत सुधरेगी। नर्स व पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण देने से उपचार की राह भी आसान होगी।
14 महीने से नाम मांग रहा केंद्र
केंद्र की चिट्ठियों पर राज्य के स्तर पर ढिलाई का नमूना भी इन कौशल विकास केंद्रों की पहल से सामने आया है। पिछले वर्ष 10 सितंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ.जगदीश प्रसाद ने प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) को पत्र लिखकर कालेजों के नाम मांगे थे। यहां कालेजों का जिम्मा चिकित्सा शिक्षा विभाग के पास होने के कारण वे नाम गए ही नहीं। इसके बाद इस वर्ष 24 जून के केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव बीपी शर्मा ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर नाम मांगने के साथ प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) द्वारा नाम न भेजने की बात बताई। चार माह से अधिक बीत जाने पर भी मेडिकल कालेज न चिह्नित किये जाने पर वरिष्ठ क्षेत्रीय निदेशक ने सीधे प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) को चिट्ठी लिखी। अब शासन स्तर पर कालेजों के नाम चिह्नित करने की प्रक्रिया शुरू हुई है।

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