Saturday 1 October 2016

और कसेगा निजी मेडिकल कालेजों पर शिकंजा

-अभी ब्रांच के आधार पर तीन करोड़ रुपये तक होती वसूली
-पीजी-नीट से होंगे एमडी-एमएस में प्रवेश तो रुकेगी अराजकता
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: मेडिकल कालेजों में परास्नातक पाठ्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा (पीजी-नीट) अनिवार्य होने के बाद निजी कालेजों पर शिकंजा और कसेगा। अभी अलग-अलग ब्रांच के आधार पर विद्यार्थियों से तीन करोड़ रुपये तक 'डोनेशनÓ के रूप में वसूले जाते हैं। एमडी-एमएस के लिए राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा पर अमल होने से यह अराजकता रुकेगी।
निजी मेडिकल व डेंटल कालेजों में स्नातक पाठ्यक्रमों एमबीबीएस व बीडीएस में नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंटरेंस टेस्ट (नीट) के माध्यम से ही प्रवेश लेना इसी वर्ष अनिवार्य किया गया है। निजी कालेजों की तमाम कोशिशों के बावजूद उच्च न्यायालय ने उन्हें सीधे प्रवेश की अनुमति नहीं दी और सरकारी काउंसिलिंग के माध्यम से ही प्रवेश के निर्देश दिये हैं। इस बीच निजी कालेजों की परास्नातक कक्षाओं के प्रवेश भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तावित पीजी-नीट के माध्यम से कराने का फैसला हुआ है। बुधवार को यह फैसला होते ही गुरुवार को चिकित्सा शिक्षा महकमे में हर कोई स्पष्ट रूप से यह कह रहा था कि इससे निजी मेडिकल कालेजों पर शिकंजा कसेगा। अभी वो जिस तरह परास्नातक कक्षाओं में प्रवेश के लिए मनमाने ढंग से प्रवेश लेते हैं, अब वह मनमानी भी रुकेगी।
दरअसल प्रदेश के सरकारी मेडिकल कालेजों में एमडी, एमएस व परास्नातक डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की 751 व एमडीएस की 27 सीटें हैं। इसके अलावा 11 निजी मेडिकल कालेजों व 21 निजी डेंटल कालेजों में परास्नातक सीटें हैं। अभी निजी मेडिकल व डेंटल कालेज औपचारिकता के लिए अपनी प्रवेश परीक्षा कराते हैं, किन्तु वास्तविकता में यहां सीटों की बाकायदा बुकिंग होती है। सबसे महंगी सीट एमडी (रेडियोलॉजी) की है, जो तीन करोड़ रुपये तक बिकती है। दूसरे नंबर एमडी (स्किन) की सीट औसतन दो करोड़ रुपये के आसपास बेची जाती है। इसके बाद सर्जरी में एमएस (गायनोकोलॉजी) और एमएस (जनरल सर्जरी) की सीटों के लिए डेढ़ से दो करोड़ रुपये के बीच वसूली की जाती है। एमडी (मेडिसिन) व एमडी (पीडियाट्रिक्स) के लिए औसतन सवा से डेढ़ करोड़ रुपये के बीच लिये जाते हैं। पीजी-नीट लागू होने से इस वसूली पर अंकुश लग सकेगा। चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.वीएन त्रिपाठी भी मानते हैं कि पीजी-नीट लागू होने से निश्चित रूप से स्थितियों में सुधार आएगा। इससे विद्यार्थियों के पैसे बचेंगे, वहीं मेधा का भी सम्मान बढ़ेगा। अभी जो विद्यार्थी चाहकर भी निजी कालेजों में प्रवेश के बारे में नहीं सोचते, उन्हें भी अवसर मिलेंगे।

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