लखनऊ। उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका
है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की अयोध्या एक बार फिर चर्चा में है। वैसे पिछले
कई चुनाव अयोध्या की चर्चा के बिना नहीं हुए हैं, किन्तु इस बार वहां राम मंदिर
निर्माण शुरू हो चुका है। लग रहा था कि विवाद थमने के बाद अब अयोध्या से इतर
मुद्दों पर चर्चा होगी, किन्तु राजा राम की राजधानी अयोध्या इस बार सूबे के मुखिया
योगी आदित्यनाथ के चुनाव लड़ने की संभावना से चर्चा में है। माना जा रहा है कि
योगी अयोध्या के प्रतिनिधि बनकर अगले पांच वर्षों में राम राज्य की अवधारणा को
पुष्ट करेंगे।
सिपहसालारों ने डेरा डाला
अयोध्या से योगी आदित्यनाथ के चुनाव लड़ने को लेकर कयास तो लंबे समय से लग रहे
थे, किन्तु पिछले कुछ दिनों से इन कयासों को बल मिलना शुरू हुआ है। वहां योगी के
निजी सचिव सहित कई प्रमुख सिपहसालारों ने डेरा डाला है। वे स्थानीय कार्यकर्ताओं
के लिए योगी द्वारा भेजे गए उपहार लेकर तो गए ही हैं, उनसे चर्चा भी कर रहे हैं।
वे खुल कर पूछ रहे हैं कि यदि मुख्यमंत्री अयोध्या से चुनाव लड़ते हैं तो उसका
क्या असर होगा। कार्यकर्ताओं की ओर से भी इस बारे में सकारात्मक व उत्साहजनक
प्रतिक्रिया सामने आ रही है। माना जा रहा है कि काशी से नरेंद्र मोदी के सांसद
बनने के बाद अयोध्या से योगी का विधायक बनना भाजपा की रणनीति का हिस्सा है, जिससे
वे हिन्दू वोट बैंक को मजबूती के साथ जोड़े रह सकें। इससे भाजपा के एजेंडे में
शामिल अयोध्या-मथुरा-काशी की त्रयी में से दो केंद्र सीधे जुड़ जाएंगे, जिसका लाभ
चुनाव में निश्चित मिलेगा।
प्रशासन भी पहुंचा अयोध्या
योगी के सिपहसालारों के अलावा चुनाव घोषणा से ठीक पहले सूबे की प्रशासनिक
मशीनरी भी अयोध्या पहुंची। प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र और पुलिस
महानिदेशक मुकुल गोयल ने अयोध्या जाकर न सिर्फ रामलला और हनुमानगढ़ी के दर्शन
किये, बल्कि वहां विकास कार्यों की समीक्षा भी की। उन्होंने अयोध्या जगन्नाथपुरी
की तरह विकसित करने और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल बनाने पर जोर दिया। वैसे भी
अयोध्या में इस समय विकास कार्य जोरों पर है। कुल मिलाकर 16 हजार करोड़ रुपये से
अधिक की 110 परियोजनाओं पर काम हो रहा है। मुख्यमंत्री स्वयं इन परियोजनाओं की
समीक्षा कर रहे हैं।
योगी सबके हैं, फैसला पार्टी करेगी
इस संबंध में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अवनीश त्यागी का कहना है
कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पिछले पांच वर्षों से प्रदेश में राम राज्य का
वातावरण बना है। योगी सबके हैं और पूरे प्रदेश के कार्यकर्ता चाहते हैं कि योगी
उनके क्षेत्र से चुनाव लड़ें। मुख्यमंत्री चुनाव कहां से लड़ेंगे, इसका फैसला
पार्टी करेगी। वे अयोध्या से लड़ेंगे तो कार्यकर्ता प्रफुल्लित होंगे। वैसे भी
अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का पथ प्रशस्त होने के साथ चतुर्दिक विकास की
राह खुली है।
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