Wednesday 22 December 2021

सरकार! हमने आपका नमक खाया है

डॉ. संजीव मिश्र

द्रौपदी मूल रूप से बिहार की रहने वाली है। उत्तर प्रदेश के कानपुर में उसका पति ठेले पर घूम-घूम कर सामान बेचता है तो वह स्वयं कई घरों में खाना बनाकर घर चलाने में पति की मदद करती है। ऐसे ही एक घर में मालकिन को प्रफुल्लित होकर वह बता रही थी, भाभी पता है, इस महीने राशन दुकान से गेहूं-चावल के साथ नमक-तेल भी मुफ्त मिला है। मालकिन के मुंह से भी अनायास निकला, फिर तो तुम सरकार का नमक खा रही हो, वोट भी इसी सरकार को दोगी। अब द्रौपदी एक क्षण के लिए मौन सी हो गयी, फिर बोली, हां भाभी सरकार का नमक तो हमलोग खा रहे हैं, वोट का वोट के समय देखेंगे।

उत्तर प्रदेश इस समय चुनाव मोड में है। यहां अगले बरस की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। प्रधानमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे नेता तक उत्तर प्रदेश में डेरा डाल चुके हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार का एक फैसला इस समय चर्चा में है। दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने गरीबों को गेहूं-चावल के साथ नमक-तेल व चना भी मुफ्त देना शुरू किया है। कोरोना काल के समय देश भर में गरीबों को मुफ्त राशन मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की गयी थी। केंद्र सरकार की यह योजना पिछले महीने यानी नवंबर में समाप्त भी हो गयी थी, किन्तु दिसंबर आते-आते केंद्र सरकार ने योजना को अगले चार महीने यानी मार्च 2022 तक के लिए बढ़ा दिया है। केंद्र ने यह फैसला बाद में लिया, उत्तर प्रदेश सरकार नवंबर में ही इस योजना को मार्च तक बढ़ाने का फैसला कर चुकी है। इससे यह तो तय ही हो गया है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों तक गरीबों को मुफ्त में राशन मिलता रहेगा।

उत्तर प्रदेश सरकार गरीबों को मुफ्त अन्न देने के साथ अब चना, नमक व तेल भी मुहैया कराएगी। एक किलो साबुत चना, एक किलो आयोडाइज्ड नमक व एक लीटर रिफाइंड तेल आकर्षक पैकिंग में प्रदेश की अस्सी हजार से अधिक राशन दुकानों में भेजा जा चुका है। उत्तर प्रदेश की कुल लगभग 22 करोड़ जनसंख्या में से 13 करोड़ से अधिक लोग इस योजना से लाभान्वित होंगे। राज्य सरकार सूबे की दो तिहाई आबादी के घरों तक मुफ्त नमक-तेल के साथ सीधे जुड़ाव की दस्तक दे रही है। नमक-तेल-चना के जो आकर्षक पैकेट बनाए गए हैं, उनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चित्र छपे हैं। साथ ही जनता से जुड़ाव स्थापित करने के लिए सबसे ऊपर हर मुश्किल में आपके साथ और सबसे नीचे सोच ईमानदार काम दमदार जैसे संदेश भी छापे गए हैं। इससे पहले सरकार गेहूं-चावल ले जाने के लिए मोदी-योगी के चित्रों वाले बड़े झोले भी जनता के बीच इन्हीं राशन दुकानों के माध्यम से पहुंचा चुकी है।

अगले वर्ष विधानसभा चुनाव प्रस्तावित होने के चलते उत्तर प्रदेश सरकार के इन प्रयासों को लेकर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। अब जनता को सामग्री वितरण का विरोध करने का साहस कोई राजनीतिक दल कर नहीं सकता, ऐसे में इस सामग्री की पैकिंग में योगी-मोदी के चित्रों को लेकर सवाल उठ रहे हैं। उत्तर प्रदेश में जनता तक पहुंची सामग्री में मुख्यमंत्री का चित्र पहली बार छप रहा हो, ऐसा भी नहीं है। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का चित्र तो बच्चों के स्कूल बैग तक में छप चुका है। उत्तर प्रदेश सरकार अपने हर अभियान में मुख्यमंत्री के साथ प्रधानमंत्री का चित्र भी लगाती है, इसलिए यहां हर जगह योगी के साथ मोदी नजर आते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार इस योजना के माध्यम से गरीब जनता को निःशुल्क भोजन का प्रबंध कराने की मशक्कत कर रही है। दरअसल भारत में नून-तेल-लकड़ी को जीवन के लिए अपरिहार्य माना गया है। लकड़ी के स्थान पर उज्ज्वला योजना में गैस सिलेंडर मुहैया कराकर खाना पकाने का प्रबंध केंद्र सरकार की मदद से पहले ही हो चुका है। अब नमक व तेल की उपलब्धता से सरकार नून-तेल-लकड़ी की त्रयी को पूरा कर रही है।

विधानसभा चुनावों से पहले उत्तर प्रदेश में सरकार की ओर से मिल रही इन सौगातों के साथ विपक्ष भी नए वादों-इरादों के साथ मैदान में है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की तर्ज पर बिजली-पानी मुफ्त देने की बात कही है, तो समाजवादी पार्टी बेरोजगारी भत्ता सहित तमाम मुफ्त सौगातों के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस महिलाओं को अधिक टिकट देने और उनके लिए अलग घोषणा पत्र के साथ छात्राओं को मुफ्त स्कूटी देने का वादा कर रही है तो बहुजन समाज पार्टी भी पीछे नहीं रहना चाहती। तमाम छोटे-बड़े दलों के बीच गठबंधन, जोड़गांठ व सियासी आवागमन की घटनाओं के साथ मुफ्त बांटने की होड़ के बीच भारतीय जनता पार्टी सत्ता में बने रहने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है। मुफ्त राशन के साथ मुफ्त कोरोना टीकाकरण तो भाजपा के चुनावी प्रचार अभियान का हिस्सा पहले से ही है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर की परिकल्पना साकार करने को अपना बड़ा मुद्दा बना चुकी भाजपा काशी विश्वनाथ मंदिर को भव्य स्वरूप देने के बाद उसे भी अपनी उपलब्धि से जोड़ रही है। अयोध्या-मथुरा-काशी को हिन्दू स्वाभिमान से जोड़ने वाली भाजपा के नेता खुलकर भले ही अभी मथुरा को लेकर चर्चा नहीं कर रहे हैं किन्तु जिस तरह प्रदेश में एक साथ छह स्थानों से निकलने वाली जन विश्वास यात्राओं में से एक यात्रा को रवाना करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा का चयन किया, उससे कई संदेश साफ नजर आ रहे हैं। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी मथुरा को लेकर विश्व हिन्दू परिषद की सकारात्मक उम्मीदों वाले बयान दे चुके हैं। उधर प्रधानमंत्री दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में ही चार बार उत्तर प्रदेश आकर विकास कार्यों का शिलान्यास व लोकार्पण कार्यक्रमों से जुड़ रहे हैं। इन स्थितियों में आने वाला चुनाव विकास, धर्म व मुफ्त उपलब्धताओं के साथ लड़ा जाएगा, इसमें कोई संशय नहीं है। जनता सरकार का नमक खाकर इस नमक का कर्ज कैसे चुकाएगी, इसका पता भी चुनाव परिणामों से ही लग सकेगा। फिलहाल उम्मीदों के पंख लगे हैं और हर कोई इन पंखों के साथ बड़ी उड़ान भरना चाह रहा है।

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