Monday 20 December 2021

शिव की चौखट से खुलेंगे कई द्वार

डॉ.संजीव मिश्र

पिछले कुछ दिनों से शिव की काशी एक बार फिर चर्चा में है। हो भी क्यों न, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दर्जन भर मुख्यमंत्रियों-उपमुख्यमंत्रियों के साथ दुनिया भर को काशी की नयी छटा के दर्शन जो कराए हैं। मोदी की इस बार की काशी यात्रा का हर कदम चर्चा में है। गंगा में डुबकी लगाना हो या कामगारों के साथ बैठकर भोजन करना, मोदी के समर्थकों से लेकर विरोधियों तक इसकी चर्चा के बिना रह नहीं पा रहे हैं। गंगा से शिव की चौखट तक की इस मोदी-यात्रा के बाद साफ नजर आ रहा है कि शिव की चौखट से इस बार कई द्वार खुलेंगे। इनमें श्रद्धा, भक्ति, इतिहास व संस्कृति के साथ अगले बरस प्रस्तावित उत्तर प्रदेश चुनावों के मद्देनजर सत्ता की पुनरावृत्ति का द्वार भी लोगों को खुलता दिख रहा है।

आइये अब कुछ साल पीछे चलते हैं। बात वर्ष 2014 की है। भारतीय जनता पार्टी ने उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री और देश के हिन्दू चेहरे नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनावों के लिए अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था। मोदी ने वाराणसी से चुनाव लड़ने का फैसला किया। मोदी जब पहली बार काशी पहुंचे तो कहा, मुझे मां गंगा ने बुलाया है। उनके इस एक वाक्य पर काफी हो हल्ला हुआ किन्तु काशीवालों ने उन्हें अपना लिया। मोदी चुनाव जीते, देश के प्रधानमंत्री बने तो काशी के सपने भी बड़े हो गए। काशी का पूरा जीवन बाबा विश्वनाथ के इर्द-गिर्द घूमता है। मोदी ने भी इस बात को समझा और गंगा से बाबा की देहरी तक की यात्रा सुगम करने के लिए काशी विश्वनाथ धाम परिसर के सुंदरीकरण का निर्णय हुआ। 

मोदी की परिकल्पना के अनुरूप बाबा के दरबार का सुंदरीकरण नियोजित ही किया जा रहा था कि उत्तर प्रदेश की कमान भी बाबा के एक भक्त के हाथ में आ गयी। 2017 में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो मानो काशीवासियों के सपनों को पंख लग गए। मोदी-योगी की इस जोड़ी ने काशीपुराधिपति के आंगन को भक्तों की इच्छा के अनुरूप विस्तार दिलाने का संकल्प लिया और पिछले कुछ दिन उसी संकल्प पूर्ति का प्राकट्य करने वाले थे। मोदी ने गंगा में डुबकी लगाने के साथ मानो साढ़े सात वर्ष पुराने अपने संकल्प को दोहराया और इसकी अभिव्यक्ति उन्होंने ट्वीट के माध्यम से भी की। उन्होंने लिखा, मां की गंगा की गोद में उनके स्नेह ने कृतार्थ कर दिया। ऐसा लगा जैसे मां गंगा की कलकल करती लहरें विश्वनाथ धाम के लिए आशीर्वाद दे रही हैं।

मां गंगा व विश्वनाथ धाम के इसी आशीर्वाद को लेकर उत्तर प्रदेश ही नहीं देश भर में तरह तरह की चर्चाएं हो रही है। विपक्षी हतप्रभ से हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जयपुर की महंगाई विरोधी रैली में हिन्दू और हिन्दुत्व का राग छेड़कर स्वयं को विषय से भटका लिया है। उत्तर प्रदेश में भाजपा से सीधी लड़ाई का दावा कर रहे अखिलेश यादव, आखिरी समय में काशी ही जाया जाता है, जैसा बयान देकर सफाई देने को मजबूर हो रहे हैं। विपक्षी वही कर रहे हैं, जो भाजपा चाहती है। यह कहना गलत नहीं होगा, कि तमाम फील्डिंग सजाने के बाद भी सभी दल भाजपा की पिच पर ही बैटिंग कर रहे हैं। विकास के तमाम दावों के बावजूद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की शुरुआत और भव्य काशी, दिव्य काशी की परिकल्पना पूरी होना भी भाजपा के चुनावी एजेंडा का बड़ा बिन्दु होने वाला है। मोक्ष व पुण्य की नगरी काशी में शिव की चौखट से निकला हर संदेश उत्तर प्रदेश ही नहीं देश भर में जनादेश पर प्रभाव जरूर डालेगा। हां, यह प्रभाव कितना होगा, यह समय बताएगा।

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